8600 मील का ऐतिहासिक सफर तय करने वाली कैप्टन शिवानी का कैसा था फ्लाइट में अनुभव?
शिवानी के मुताबिक उनके समेत पूरे क्रू को यकीन था कि इस उड़ान में होने वाली दिक्कतों के बावजूद वो यह फ्लाइट उड़ा पाएंगी. उनके मुताबिक इस फ्लाइट के दैरान चुनौतियां बहुत थीं.
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जम्मू: इसी साल जनवरी में नॉर्थ पोल से होते हुए अमेरिका के शहर सैन फ्रांसिस्को से बेंगलुरू तक का 8600 मील का सफर तय कर इतिहास रच चुकी एयर इंडिया की ऑल वीमेन क्रू में शामिल कैप्टन शिवानी मन्हास का मानना है कि उनके लिए यह उड़ान कई वजहों से विशेष थी. एबीपी न्यूज़ से बातचीत में शिवानी ने कहा कि नार्थ पोल से उड़ान भरना उनके लिए किसी सपने से कम नहीं था.
इसी साल जनवरी में भारतीय महिला पायलट्स ने इतिहास रचा. इन महिला पायलट्स ने पहली बार दुनिया के नक्शे पर दो अलग छोरो पर बसे अमेरिकी शहर सैन फ्रांसिस्को और भारतीय शहर बेंगलुरू के बीच की करीब 8600 मील की दूरी को तय किया. इस फ्लाइट को भारत की चार महिला पायलट्स ने उड़ाया, जिनमें जम्मू की कैप्टन शिवानी मन्हास भी शामिल थीं.
शिवानी ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा कि ये फ्लाइट एक इनॉग्रेशन फ्लाइट थी, जो बेंगलुरू और सैन फ्रांसिस्को के बीच उड़ी. इसकी विशेषता थी कि यह फ्लाइट नॉर्थ पोल के ऊपर से गुज़री जो महिला क्रू द्वारा संचालित थी.
शिवानी के मुताबिक पहले उन्हें इस फ्लाइट के बारे में इतना समझ नहीं आया था. उन्होंने कहा कि जब उन्हें यह फ्लाइट मिली तो उन्हें यह पता था कि एक नया सेक्टर खुला है और दोनों सेक्टर्स के लोग अपने घर जल्दी और सीधा पहुंच सकते थे. शिवानी के मुताबिक उन्हें जब पता चला कि वो नॉर्थ पोल के ऊपर से उड़ान भरेंगे तो हमने इसके लिए तैयारी की थी. उनके मुताबिक उन्हें इसके लिए विशेष क्लासेस मिली थी. शिवानी के मुताबिक उनके समेत पूरे क्रू को यकीन था कि इस उड़ान में होने वाली दिक्कतों के बावजूद वो यह फ्लाइट उड़ा पाएंगी. उनके मुताबिक इस फ्लाइट के दैरान चुनौतियां बहुत थीं. नॉर्थ पोल पर रेडिएशन होती है, जो विमान के इंस्ट्रूमेंट पर असर डालती है और पायलट्स को फिर वैकल्पिक तरीके इस्तेमाल करने पड़ते हैं. इसके साथ ही नेविगेशन के लिए भी पुराने तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं. नॉर्थ पोल पर तापमान जीरो डिग्री से नीचे रहता है और उड़ते समय हवाई जहाज के ईंधन के जम जाने का डर रहता है. इसके साथ ही अगर किसी विपरीत स्थिति में फ्लाइट को डाइवर्ट करना पड़ता है तो वहां पर किसी तरीके की कोई सहायता नहीं रहती है.
इसके साथ ही कॉकपिट क्रू को स्पेशल ट्रेनिंग दी गई थी. पायलट्स को पोलर मैनुअल को स्टडी करने के लिए कहा गया था और कुछ विशेष इक्विपमेंट दिए गए थे. इसके साथ ही किसी विपरीत परिस्थिति के लिए अतिरिक्त ऑक्सीजन सिलेंडर दिए गए थे. विमान में अतिरिक्त पोलर सूट डियर में दिए गए थे. शिवानी के मुताबिक उन्हें एयर इंडिया के साथ काम करते 4 साल हुए हैं. एयर इंडिया में उनसे भी कई वरिष्ठ पायलट हैं. उन्हें इसकी अपेक्षा नहीं थी. शिवानी खुद को सौभाग्यशाली समझती हैं कि उन्हें इस मिशन के लिए चुना गया.
उनके मुताबिक इस मिशन से बहुत ज्यादा उम्मीदें थी, क्योंकि इसमें सभी महिलाएं शामिल थीं और किसी भी गलती की कोई गुंजाइश नहीं थी. शिवानी को इस बात की खुशी है कि उनके इस प्रयास की सराहना देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है. शिवानी के मुताबिक उनके इस प्रयास का असर छोटे शहरों में रह रहीं युवतियों पर भी पड़ेगा.
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