नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने चीफ जस्टिस (सीजेआई) दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. नायडू ने कहा कि यह तकनीकी तौर पर किसी भी तरह से मंजूर करने लायक नहीं है. जानकारों से मशविरे के बाद पाया गया कि नोटिस न तो वांछनीय है और न ही उचित. विपक्षी दलों ने नोटिस में जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ पांच आधार पर कदाचार का आरोप लगाते हुये उन्हें ‘चीफ जस्टिस के पद से हटाने की प्रक्रिया’ शुरू करने की मांग की थी.


सीजेआई दीपक मिश्रा क्या कर रहे थे?


आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही सुबह साढ़े दस बजे शुरु होती है. लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट की सभी बेंच आज 10.30 की बजाय करीब 10.45 के करीब बैठी. दरअसल सुबह होने वाली अनौपचारिक मीटिंग में जजों ने सीजेआई के खिलाफ विपक्ष के प्रस्ताव और उसके खारिज होने पर आपस में चर्चा की थी.


CJI के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करते हुए वेंकैया नायडू ने दिये ये 5 अहम कारण


15 मिनट की देरी से कोर्टरूम पहुंचे दीपक मिश्रा


मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा आमतौर पर अपने कोर्टरूम में साढ़े दस बजे पहुंचते हैं लेकिन आज वह 15 मिनट की देरी से यानी 10 बजकर 45 मिनट पर कोर्टरूम पहुंचे. इसके बाद सीजेआई दीपक मिश्रा उन वकीलों को सुनना शुरू कर देते हैं, जो अपनी याचिकाओं को तत्काल सुनने के लिए सूचीबद्ध करना चाहते थे.


कहा जा रहा है कि इस दौरान बीजेपी के वरिष्ठ नेता और वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच से अयोध्या के रामजन्मभूमि मंदिर में पूजा करने के अपने अधिकार पर जल्द सुनवाई की मांग की थी, लेकिन बेंच ने इससे मना करते हुए कहा कि आप ये मसला बाद में उठाएं.


कोर्टरूम में वकीलों के बीच हुई महाभियोग पर चर्चा


महाभियोग प्रस्ताव पर क्या है कानून के विशेषज्ञों की राय?


सीजेआई दीपक मिश्रा की कोर्ट के अलावा भी आज सभी कोर्टरूम में 10 बजकर 45 मिनट पर ही सुनवाई शुरु हुई. इस बीच वकीलों ने भी कोर्टरूम में महाभियोग पर बैठक के संबध में चर्चा की थी.


सूत्रों के मुताबिक, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सीजेआई दीपक मिश्रा को पद से हटाने को लेकर कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों की ओर से दिए गए नोटिस पर संविधानविदों और कानूनी विशेषज्ञों से विचार-विमर्श किया था.


CJI के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव खारिज, जानें विपक्ष का अगला कदम क्या हो सकता है?