नई दिल्ली: लाभ के पद मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के 20 विधायकों की सदस्यता जा सकती है. सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग ने अपनी सिफारिश राष्ट्रपति के पास भेज दी है. अतिम फैसला राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से ही आएगा. इन सभी विधायकों पर संसदीय सचिव के तौर पर लाभ का पद लेने का आरोप है.


अगर सदस्यता रद्द हुई तो क्या होगा?
राष्ट्रपति आयोग की अनुशंसा मानने को बाध्य हैं. जिन मामलों में विधायकों या सांसदों की अयोग्यता की मांग वाली याचिकाएं दी जाती हैं, उन्हें राष्ट्रपति राय जानने के लिए चुनाव आयोग के पास भेजते हैं. चुनाव आयोग मामले पर अपनी राय भेजता है. बहरहाल, आयोग ने कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है.


इस बीच बड़ा सवाल है कि अगर राष्ट्रपति लाभ के पद मामले में आप के बस विधायकों की सदस्यता रद्द कर देते हैं तो क्या होगा? दरअसल दिल्ली में सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 36 होना चाहिए. लेकिन वर्तमान में आम आदमी पार्टी के 66 विधायक हैं. ऐसे में अगर 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी गई तो भी दिल्ली सरकार के पास बहुमत के आंकड़े से 10 सीट ज्यादा होंगी. हालांकि इन 20 सीटों पर चुनाव आयोग दोबारा चुनाव कराएगा.


20 लोगों की सदस्यता रद्द होने के बाद विधानसभा की संख्या 50 रह जाएगी. यानि विश्वास मत का फैसला इस नंबर के आधार पर होगा. हाउस की जितनी संख्या होती है विश्वास मत उसी के आधार पर तय होता है.


लाभ के पद को लेकर क्या कहता है कानून
कानून के मुताबिक, दिल्ली में कोई भी विधायक रहते हुए लाभ का पद नहीं ले सकता है. आरोप है कि इसके बाद भी केजरीवाल की पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाकर उन्हें लाभ का पद दिया.


गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ देल्ही एक्ट, 1991 के तहत दिल्ली में सिर्फ एक संसदीय सचिव का पद हो सकता है. यह संसदीय सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़ा होगा, लेकिन केजरीवाल ने सीधे 21 विधायकों को ये पद दे दिया. अब इन विधायकों की संख्या 20 रह गई है. इनमें से जरनैल सिंह ने पंजाब विधानसभा में चुनाव लड़ने के लिए दिल्ली विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था.


आम आदमी पार्टी ने क्या कहा?
पूरे मामले पर सफाई देने आई आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग पर ही सवाल खड़े कर दिए. आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि किसी भी विधायक को वेतन, गाड़ी और बंगला नहीं दिया गया था फिर 'लाभ का पद' कैसे? इसके साथ


उन्होंने कहा, ''23 जनवरी को मुख्य चुनाव आयुक्त एके जोती जी 65 साल के हो जाएंगे. वो सोमवार को रिटायर होने वाले हैं. तीन लोगों ने सुनवाई की थी. सिर्फ इसमें जोती जी फैसला देना चाह रहे हैं, जबरदस्ती थोपना चाह रहे हैं. वो मोदी जी को अपना कर्च चुकाना चाहते हैं.''


इस मामले पर चुनाव आयोग की सिफारिश के खिलाफ पार्टी ने हाईकोर्ट का रुख किया है. पार्टी ने कोर्ट में दलील दी कि हमें पक्ष रखने का मौका नहीं मिला, पूरी सुनवाई के बिना ही सिफारिश की गई.