नई दिल्ली: महाराष्ट्र में बीएमसी चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिला है. बीएमसी की सत्ता पाने के लिए मुंबई में सियासी हलचल बढ़ गई है.सबसे बड़ा सवाल यही है कि बीएमसी में किसकी और कैसे बनेगी सरकार ?


तमाम विकल्पों की चर्चा के बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस के ऐसे बयान आए हैं जिनसे साफ संकेत मिल रहे हैं कि बीजेपी और शिवसेना में बीएमसी की सत्ता हासिल करने के लिए दोस्ती' संभावना अभी खत्म नहीं हुई है. हालांकि दोनों ही पक्ष मेयर पद के लिए दावा कर रहे हैं लेकिन साथ ही एक दूसरे के साथ मिलकर बीएमसी पर काबिज होने की संभावनाओं से इनकार नही कर रहे .

गडकरी ने क्या कहा?
एबीपी न्यूज से एक्सक्लूसिव बातचीत में नितिन गडकरी ने कहा कि हम बीएमसी में शिवसेना के साथ आ सकते हैं. बीएमसी के परिणामों का असर यूपी के चुनावों पर भी पड़ेगा. शिवसेना के मुखपत्र सामना में लगातार बीजेपी पर हो रहे हमलों पर गडकरी ने कहा कि शिवसेना और सामना अखबार ने बीजेपी का बहुत मन दुखाया है. वो अगर रोज हमले करना छोड़ दें तो दोनों बीएमसी में साथ आ सकते हैं.


गडकरी ने स्वीकारा कि चुनाव से पहले विवाद हुए थे. लेकिन, अब परिणाम आ चुके हैं. दोनों ही दलों के नेता समझदार हैं और दोनों के आपस में बैठकर ही तय करना है कि आगे क्या करें. उन्होंने कहा कि मेयर किस पार्टी का होगा यह उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस ही तय करेंगे.


देवेंद्र फडणवीस ने क्या कहा ?
देवेंद्र फडणवीस ने अंग्रेजी चैनल टाइम्स नाउ से बात करते हुए कहा कि आलाकमान ने उन्हें और कोर कमिटी को अधिकार दिया है कि बीएमसी में सरकार बनाने के लिए फैसला करने के लिए. मैं बीएमसी में शिवसेना के साथ सरकार बनाने के खिलाफ नहीं हू लेकिन इसे ज्यादा नहीं पढ़ा जाए. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में शिवसेना सरकार का हिस्सा है इसीलिए बीएमसी में शिवसेना अछूत नही है लेकिन बैठक के बाद ही कोई फैसला होगा. हम पारदर्शिता के मुद्दे पर चुनाव लड़े थे इसलिए जो भी फैसला होगा वो पारदर्शिता के एजेंडे पर ही होगा.


कल उद्धव ने भी कहा- पहले मिठाई तो खाने दीजिए
आपको बता दें कि बीएमसी में प्रचारक के दौरान शिवसेना लगातार बीजेपी पर हमलावर रही. नतीजों के बाद शिवसेना की तरफ से भी अभी स्थिति साफ नहीं की गई है. कल शिवसेना प्रमुख उद्दव ठाकरे से एबीपी न्यूज़ ने जब सवाल किया कि आप राज्य सरकार से समर्थन कब वापस ले रहे हैं? इसके जवाब में उद्धव ने कहा था कि अभी जल्दी क्या है अभी हमें जीत की मिठाई तो खा लेने दीजिए.


क्या फॉर्मूला हो सकता है ?
शिवसेना और बीजेपी के पास विकल्प क्या हैं ये आपको बताएं उससे पहले अन्य के पास जो 14 सीटें हैं उनका समीकरण समझना बेहद जरूरी है. 14 अन्य में समाजवादी पार्टी की 6 सीटें हैं, 3 सीटें ओवैसी की पार्टी AIMIM के पास हैं, 4 निर्दलीय हैं, और 1 सीट अरूण गवली की पार्टी अखिल भारतीय सेना के पास है, जिस पर उनकी बेटी गीता गवली जीती हैं. अगर शिवसेना और बीजेपी हाथ नहीं मिलाते हैं तो बीएमसी के लिए तीन विकल्प निकल कर सामने आते हैं.


पहला विकल्प
शिवसेना कांग्रेस से हाथ मिला ले, मतलब शिवसेना के 84 और कांग्रेस के 31 मिलकर हुए 115, यानि बहुमत से 1 सीट ज्यादा


दूसरा विकल्प
शिवसेना, एनसीपी, एमएनस और अन्य को साथ मिला ले, मतलब 84, 9, 7 और 14, मिलकर हुए 114, यानि बहुमत के बराबर


तीसरा विकल्प
बीजेपी, एनसीपी, एमएनएस और अन्य को साथ मिलाकर दावा करे, मतलब 82, 9, 7 और 14, मिलकर हुए 112, यानि बहुमत से 2


चौथा विकल्प
शिवसेना और बीजपी आपस में बात करके ढाई-ढाई साल के लिए अपना मेयर बना लें. लेकिन जिस तरह के हालात दोनों के बीच हैं, उससे इस विकल्प के आसार बेहद कम नजर आ रहे हैं.