रूस और यूक्रेन की जंग का आज सातवां दिन है और खारकीव समेत कई शहरों में रूस के हमले तेज हो गए हैं. भारतीय दूतावास ने भी एक घंटे के भीतर दूसरी एडवाइजरी जारी कर अपने नागरिकों से खारकीव छोड़ देने को कहा है. रूस पर लगाम कसने के लिए अमेरिका, फ्रांस समेत कई देशों ने प्रतिबंध लगाए हैं. इसी को लेकर एबीपी न्यूज ने पीएचडी चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के चीफ इकोनॉमिस्ट एसपी सिंह से बातचीत की. 


सवाल: रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं, रूस की इस वक्त आर्थिक स्थिति क्या है?


जवाब: रूस की इकोनॉमी एवरेज रही है. कोरोना से पहले की ग्रोथ रेट पॉज़िटिव था लेकिन कोरोना के बाद काफ़ी रिकवरी भी देखी गई. यूक्रेन की भी ज़्यादा अच्छी स्थिति नहीं थी. इकनॉमिकली कोरोना से पहले वहां 1% तक का माइनस ग्रोथ रेट था. लेकिन कोविड के बाद उसका ग्रोथ रेट 3% तक आ गया है. IMF के मुताबिक़ USSR के समय में भी रूस का ग्रोथ रेट 3-4% के ऊपर ग्रोथ करता था.


लेकिन USSR के बाद सिर्फ रूस की बात करें तो इसका ग्रोथ रेट काफ़ी बेहतर नहीं रहा. इकोनॉमी काफी वर्षों तक नेगेटिव ग्रोथ रेट में ही रही है. लेकिन अब रूस ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस में टॉप 50 में आता है. जबकि यूक्रेन इसमें काफी पीछे है. वॉर के बाद इकोनॉमी में काफी बदलाव आते हैं. ये वॉर दोनों ही देशों के लिए ठीक नहीं है. 




सवाल: क्या रूस इससे उबर पाएगा और कब तक?


जवाब: अभी का जो समय है इसमें वॉर को जारी रखना बहुत मुश्किल हो जाता है. क्योंकि इस समय हर देश एक दूसरे पर निर्भर करते हैं. ऐसे में जिस देश पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है या जो देश प्रतिबंध लगा रहे हैं. दोनों को ही नुकसान झेलना पड़ता है. अगर वॉर अभी थम भी जाए तो वापस इस स्थिति में आने में 1-2 साल से ज़्यादा वक्त लगेगा. बहुत ज़्यादा डाउन टर्न नहीं है. लेकिन अगर वॉर लंबी चलती है तो काफी नुकसान रूस को झेलना पड़ सकता है.


सवाल: वॉर लंबी चली तो क्या रूस आर्थिक तौर पर ख़त्म हो जाएगा?


जवाब: वॉर से पहले हर देश अपनी इकोनॉमी को जरूर स्टडी करता है. रूस को भी अपनी हालत ज़रूर पता रही होगी. इसलिये वैसी तैयारी ज़रूर की गई होगी. हालांकि वॉर लंबी चलती है तो नुकसान अनुमान से ज़्यादा हो सकता है. इसलिये रूस चाहेगा कि ये जंग जल्द खत्म हो. 


सवाल: भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा?


जवाब: भारत पर ज़्यादा नेगेटिव असर देखने को नहीं मिलेगा. करंसी पर फर्क जरूर पड़ता है. महंगाई जरूर बढ़ेगी. तेल की कीमतें बढ़ेंगी. इसके लिए हमें प्लानिंग करनी होगी. 


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