चंद्रयान 2 की चांद पर सफल लैंडिंग से आपको क्या फायदा होगा? यहां जानिए
Chandrayaan-2: हिन्दुस्तान चांद की धरती पर इतिहास रचने की दहलीज पर खड़ा है. आज देर रात 1 बजकर 55 मिनट पर चंद्रयान 2 चांद की धरती पर लैंड करेगा. इसी के साथ भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन जाएगा. इस बेहद खास क्षण के गवाह बनने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरो सेंटर में मौजूद रहेंगे.
नई दिल्ली: देश इस वक्त चारो ओर चंद्रयान मिशन की चर्चा हो रही है. हर का हर नागरिक आज रात होने वाले उस ऐतिहासिक पल का गवाह बनना चाहता है जब चंद्रयान 2 चांद की सतह पर लैंड करेगा. इस सब के बीच लोगों के मन में यह सवाल भी है कि आखिर चंद्रयान 2 मिशन के सफल होने से हमें क्या लाभ होगा? बता दें कि भारत का चंद्रयान मिशन सिर्फ वैज्ञानिकों के लिए नहीं बल्कि हर भारतीय के लिए काफी अहम है. चांद के रहस्य खोलने गया चंद्रयान 2 ये पता लगाएगा कि चंद्रमा पर कितना हीलियम 3 मौजूद है. दरअसल हीलियम 3 वो तत्व है जो ऊर्जा का बहुत बड़ा स्रोत है. हीलियम 3 से न्यूक्लियर रिएक्टर चलाए जा सकते हैं, अनुमान है कि चांद पर हीलियम 3 का विशाल भंडार मौजूद है.
आज से करीब साढ़े 4 अरब साल पहले जब चांद की उत्पत्ति हुई तो वो एक आग के गोले की तरह था. धीरे-धीरे अंतरिक्ष के तमाम पिंड इस गोले से टकराते रहे. इसी प्रक्रिया में हीलियम 3 चांद तक पहुंचा. चांद के मिशन पर अब तक जाने वाले दुनिया के तमाम देशों ने हीलियम 3 की तलाश की लेकिन कोई भी कामयाब नहीं हुआ.
पहली बार चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत का चंद्रयान भी हीलियम 3 की तलाश करेगा. भारत अगर इस कोशिश में कामयाब रहा तो ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी. एक अनुमान के मुताबिक हीलियम 3 से करीब 500 साल तक ऊर्जा की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है. दुनिया के विकसित देशों में प्रति व्यक्ति ऊर्जा की उप्लब्धता 4500 किलोवॉट है, जबकि भारत में ये सिर्फ 746 किलोवॉट है. ऐसे में अगर चांद पर मौजूद हीलियम 3 भारत के हाथ लगता है तो ये देश के हर नागरिक की जिंदगी बदल सकती है.
अनुमान के मुताबिक चांद पर 10 लाख टन हीलियम 3 मौजूद है और एक टन हीलियम 3 की कीमत 5 अरब डॉलर आंकी जाती है. यानी हीलियम 3 न सिर्फ भारत की ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करेगा बल्कि आर्थिक तौर पर भारत को मजबूत बनाएगा. हालांकि हीलियम-3 का पता लगने पर उसे कैसे निकाला जाएगा और कैसे धरती तक लाया जाएगा ये अभी शोध का विषय है.