पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान का समर्थन किया कि 'आएसएस सीमा पर शत्रुओं के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार है'. उन्होंने कहा कि अगर कोई नागरिक या संगठन सीमा की सुरक्षा में जाने की बात कहता है, तो इस पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए.



नीतीश 'लोकसंवाद कार्यक्रम' में भाग लेने के बाद संवाददाताओं से मुखातिब थे. भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर उन्होंने कहा, "अगर कोई नागरिक या संगठन ऐसा कहता है, तो इसमें विवाद जैसा क्या है? वैसे मैंने खुद यह बयान देखा-सुना नहीं है और मुझे इस विषय में कोई जानकारी नहीं है."


भागवत ने यहां रविवार को कहा था, "आरएसएस कोई सैन्य संगठन नहीं है, लेकिन हमारे पास सेना जैसा अनुशासन है. यदि देश की आश्यकता है और देश का संविधान इजाजत देता है तो आएसएस सीमा पर शत्रुओं के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार है. देश की खातिर लड़ाई के लिए आरएसएस तीन दिनों के भीतर सेना बनाने की क्षमता रखता है."


उनके इस बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि आरएसएस को भारतीय सेना पर भरोसा नहीं है, भागवत का  बयान सेना का अपमान है.



नीतीश ने जेडीयू के बिहार में उपचुनाव में नहीं लड़ने पर भी सफाई देते हुए कहा कि यह राज्य इकाई का फैसला है. बिहार में सरकार चल रही है, कहीं कोई समस्या नहीं है.


बिहार में एक लोकसभा सीट और दो विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में जेडीयू की भागीदारी नहीं होने को लेकर मुख्यमंत्री कहा, "बिहार उपचुनाव में हिस्सा नहीं लड़ने का फैसला जद जेडीयू राज्य इकाई का है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह दो दिन पहले ही इस संबंध में बयान दे चुके हैं."


नीतीश ने कहा कि सीटिंग सदस्यों के निधन के कारण तीनों सीटें रिक्त हुई है. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा कि यह पार्टी का नीतिगत फैसला है. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी के किसी सदस्य के निधन से सीटें खाली नहीं हुई हैं. पार्टी की कोर कमिटी में इस बात को लेकर चर्चा हुई और चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया गया है. हर पार्टी को फैसला लेने का अधिकार है.


पत्रकारों की तरफ से अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में नीतीश कुमार ने कहा कि इस समस्या का समाधान और विवाद की समाप्ति के दो तरीके ही संभव है. पहला आपसी बातचीत के आधार पर और दूसरा न्यायालय के फैसले से.


जनादेश के विपरीत बनी सरकार के प्रमुख ने एक बार फिर महागठबंधन की चर्चा करते हुए कहा, "मेरे नेतृत्व में महागठबंधन को जो जनादेश मिला था, वह भ्रष्टाचार से समझौता करने के लिए नहीं मिला था, बिहार की सेवा के लिए मिला था."


नीतीश ने कहा, "मुझे तो पहले से ही इसका एहसास हो गया था कि महागठबंधन की सरकार डेढ़ साल से ज्यादा नहीं चल पाएगी, फिर भी मैंने कुछ ज्यादा दिन ही चलाया."


उन्होंने लालू प्रसाद को चारा घोटाले मामले में फंसाए जाने के आरोप पर किसी का नाम लिए बिना कहा, "बताइए न, 21 साल पहले के मामले में ट्रायल चल रहा है. इसमें मेरी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क्या भूमिका हो सकती है? खैर, जिसको जो कहना हो कहे, मेरा काम तो बिहार के लोगों की सेवा करने का है."