WhatsApp Community Feature For Political Parties: व्हाट्सएप ने हाल ही में सोशल मैसेजिंग ऐप में एक बड़ा अपडेट किया है. व्हाट्सएप ने यूजर्स को 'कम्युनिटी' फीचर दिया है, जिसकी मदद से अब कई छोटे-छोटे ग्रुप्स को एक साथ मैनेज किया जा सकेगा. इसमें एक हजार से ज्यादा लोगों को ऐड किया जा सकता है. खास बात तो यह है कि व्हाट्सएप का ये नया फीचर राजनीतिक दलों को खूब रास आ रहा है. राजनीतिक दल इस फीचर के साथ अब ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच बनाने में जुट गए हैं.


टीआरएस, कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं के साथ-साथ मौजूदा और पूर्व विधायक और सांसद भी व्हाट्सएप पर इस महीने से उपलब्ध 'कम्युनिटी' फीचर सुविधा का उपयोग करने के लिए तैयार हैं, ताकि यूजर्स छोटे व्हाट्सएप ग्रुप को एक शीर्षक के तहत क्लब करके हजारों लोगों तक पहुंच सकें. 


बता दें कि अगले साल तेलंगाना में विधानसभा चुनाव हैं और अभी से राजनीतिक दलों ने जनता के बीच पहुंचना शुरू कर दिया है. राजनीतिक पार्टियां जनता तक पहुंचने,और अपने कार्यक्रमों, योजनाओं और विकास कार्यों के साथ-साथ विरोध और रैलियों को प्रचारित करने के लिए एक माध्यम के रूप में व्हाट्सएप का प्रभावी ढंग से उपयोग कर रही हैं.


कम्युनिटी फीचर का क्या है फायदा?


एक व्हाट्सएप अकाउंट में अधिकतम 500 सदस्यों को जोड़ा जा सकता है. ऐसे ग्रुप्स को एक 'कम्युनिटी' फीचर के तहत एक ही जगह लाया जा सकता है. कम्युनिटी फीचर में एक ही झटके में सभी ग्रुप्स के साथ जानकारी शेयर करने की सुविधा दी गई है. ऐसे में साफ है कि राजनीतिक दल कम समय में ज्यादा लोगों तक ऑनलाइन माध्यम से अपनी पहुंच बना सकते हैं.


तेलंगाना में एक राजनीतिक नेता के मीडिया प्रबंधन को संभालने वाले श्रीधर ने कहा कि नेता और मौजूदा और पूर्व विधायक और सांसद, दोनों बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचने के लिए नए कम्युनिटी फीचर का उपयोग कर रहे हैं. 


नेताओं ने बनाने शुरू किए कम्युनिटी ग्रुप


रिपोर्ट्स के मुताबिक, आदिलाबाद के बीजेपी नेता सुहासिनी रेड्डी और मनचेरियल टीआरएस के विधायक दिवाकर राव, पेड्डापल्ली के सांसद बोरलाकुंटा वेंकटेश नेथा, चेन्नूर के बालका सुमन और खानापुर टीआरएस की विधायक रेखा नाइक के सोशल मीडिया हैंडलर ने हाल ही में एक कम्युनिटी ग्रुप बनाया है. ग्रुप के माध्यम से वह लोगों के बीच अपने और अपनी पार्टी के कार्यक्रमों का प्रचार कर रहे हैं.


नेताओं को दी जा रही ट्रेनिंग


सामाजिक और सामुदायिक समूह भी इन नई सुविधाओं का उपयोग कर रहे हैं. टिकट चाहने वाले भी खुद को प्रमोट करने के लिए इस सुविधा का सहारा ले रहे हैं. वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस, बीजेपी और टीआरएस पार्टियों ने अपने युवा नेताओं को संबंधित पार्टी के संदेशों को फैलाने के लिए प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है.


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