नई दिल्लीः सोशल मीडिया पर व्हाट्सएप को लेकर एक मैसेज ने हड़कंप मचाया हुआ है. फेसबुक के पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि अब व्हाट्सएप ग्रुप एडमिन को रजिस्ट्रेशन कराना होगा. मध्य प्रदेश के भिंड के जिलाधिकारी ने कहा है कि व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा, ऐसा न करने वालो पर कानूनी कार्रवाई होगी.



क्या ये नियम सिर्फ मध्यप्रदेश के भिंड के लिए है, क्या मध्यप्रदेश के लिए किया जा रहा दावा सही है? कुछ पोस्ट ऐसे भी हैं जिसमें रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख भी बताई गई है. इन सारे वायरल मैसेज से जो बात सामने आई उसके मुताबिक मध्य प्रदेश के भिंड में जिलाधिकारी ने सभी व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन को रजिस्ट्रेशन कराने को कहा है, जिसकी अंतिम तारीख 15 अक्टूबर है और रजिस्ट्रेशन न कराने पर कार्रवाई की जाएगी. क्या है इस खबर का वायरल सच ये आपको जरूर जानना चाहिए.



वायरल सच की पड़ताल
भिंड पहुंचते ही वायरल सच की टीम सीधे जिलाधिकारी आशीष कुमार के पास पहुंची. हमने जिलाधिकारी आशीष कुमार से सवाल किया कि क्या भिंड में व्हाट्सएप के ग्रुप एडमिन को रजिस्ट्रेशन करवाने का आदेश दिया गया है.


भिंड के जिलाधिकारी आशीष कुमार ने कहा कि ये निर्णय लिया गया है कि जो मीडिया ग्रुप हैं, जो विभिन्न तरीके के व्हाट्सएप चलाते हैं, अपनी जानकारी इधर-उधर शेयर करते हैं केवल उन्हीं लोगों को रजिस्ट्रेशन के लिए कहा है. हम लोगों ने एक व्यक्ति निश्चित किया है उसके मोबाइल पर रजिस्ट्रेशन होगा. उसके अलावा और कोई कार्रवाई नहीं होगी.


मतलब साफ है कि ये आदेश सिर्फ मीडिया ग्रुप के लोगों तक ही सीमित है, वो भी सिर्फ भिंड में. परिवार और दोस्तों के ग्रुप एडमिन को रजिस्ट्रेशन करवाने की ज़रूरत नहीं है. जिलाधिकारी आशीष कुमार का कहना है ये कि कोशिश इसलिये है ताकि आने वाले विधानसभा चुनाव में गलत खबर को फैलने से रोका जा सके. डीएम ने साफ किया कि 15 अक्टूबर तक रजिस्ट्रेशन करवाने की सिर्फ गुजारिश की गई है.


जिलाधिकारी आशीष कुमार ने कहा कि 15 तारीख तक रजिस्ट्रेशन के लिए हमने अनुरोध किया है. हमारा एक नंबर है उस नंबर से मीडिया ग्रुप जुड़ जाएंगे तो हमें सरलता रहेगी. मीडिया ग्रुप जो खबरें दे रहा है उसे देखने और निर्णय लेने में हमें सरलता रहेगी. लेकिन इस निर्देश के बाद स्थानीय मीडिया गुस्से में है.


एक मीडियाकर्मी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये फरमान बिल्कुल ही गलत है. ये मीडिया की आजादी के ऊपर सवाल है. वो तो रोक लगा रहे हैं कि आप ऐसे नहीं, ऐसे करिए. उनके हिसाब से हम लोग नहीं चलेंगे. जो आम जनता की आवाज होगी उसको उठाएंगे. आम जनता की आवाज को न उठाया जाए ये दवाब बनाना चाहते हैं. अगर ऐसा ही रहा तो जरूरत पड़ने पर कोर्ट तक जाने को तैयार रहेंगे.



तो वायरल सच की पड़ताल में ये खबर आधी सच्ची तो आधी झूठी साबित हुई है. सच ये है कि भिंड में व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन को रजिस्ट्रेशन करने के निर्देश दिए गए हैं. ये बात झूठी है कि आम आदमी भी इसके दायरे में आएंगे, सच ये है कि सिर्फ मीडिया ग्रुप ऐसा करने के लिए कहा गया है.