नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) हिंसा मामले की पूरे देश में चर्चा हो रही है. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी किया था जिसमें हिंसा में शामिल कुछ सस्पेक्ट के बारे में पुलिस ने बताया था. अभी तक जो इस मामले में खुलासे हो रहे हैं उसके मुताबिक इस हिंसा को भड़काने में व्हाट्सएप ग्रुप्स का बड़ा रोल है. जेएनयू में पांच जनवरी को हिंसा हुई थी जिसमें नकाबपोश लोगों ने छात्रों और प्रोफेसर्स के साथ मारपीट की थी. इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच कर रही है.


शुक्रवार को पूरे मामले पर दिल्ली पुलिस ने कहा कि पेरियार हॉस्टल में हमले के तुरंत बाद एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया था और उस ग्रुप का नाम रखा गया था 'यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट'. यह ग्रुप जेएनयू के ही एबीवीपी के नेता योगेंद्र भारद्वाज ने बनाया था. इस ग्रुप में 60 लोगों को शामिल किया गया था. इसी ग्रुप के आधार पर योगेंद्र भारद्वाज और विकास पटेल की पहचान भी हुई है.


क्राइम ब्रांच के सूत्रों की माने तो जैसे ही 5 जनवरी को पेरियार हॉस्टल में एबीवीपी के स्टूडेंट्स पर हमला हुआ उसके कुछ देर बाद एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया था. इस ग्रुप के जरिए सभी को इकट्ठा होने के लिए कहा जा रहा था. इस ग्रुप का एक मेंबर ने पूछा कि 'कैसा रहा आज का मैच'


इसके बाद एक के बाद एक कई और ग्रुप एक्टिव हो गए जिसमें से एक ग्रुप था 'फ्रेंड्स ऑफ आरएसएस' इस ग्रुप में भी साढ़े पांच बजे के करीब विरोधी ग्रुप को सबक सिखाने और पीटने की बात लिखी जा रही थी. इतना ही नहीं, ग्रुप में शाम करीब 5 बजकर 39 मिनट पर कहा जा रहा था कि कुछ लड़कों को जोकि दिल्ली यूनिवर्सिटी से ताल्लुक रखते हैं 'खजान सिंह स्विमिंग साइड' की तरफ से एंटर करवाया जाए, खास बात ये है कि इस ग्रुप में भी योगेंद्र भारद्वाज पूरी तरह से एक्टिव था, वो बाहरी लड़को की एंट्री के लिए कौन से गेट का इस्तेमाल किया जा सकता है, ये बताते हुए साफ नजर आ रहा था, जिसमें वो लिख रहा है ICSSA से भी एंटर किया जा सकता है.


इसी तरह एक और ग्रुप 'लेफ्ट टेरर डाउन डाउन' के नाम से एक्टिव हुआ. इस ग्रुप में भी साबरमती होस्टल में हुए हमले के बाद रात करीब 8 बजकर 49 मिनट पर एक ग्रुप मेंबर ने लिखा- 'we have so much fun at JNU, मजा आया ना देशद्रोहियों को मारकर.' बता दें कि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच इस मामले की जांच के लिए इन व्हाट्सएप ग्रुप का इस्तेमाल कर रही है. दिल्ली पुलिस ने 'यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट' नाम के ग्रुप में शामिल 60 मेंबर में से 37 की पहचान कर ली है.


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