नई दिल्ली: जिस व्हाट्सएप पर आप सुबह शाम बेधड़क होकर मैसेज भेजते रहते हैं, क्या वो आपकी निजी जानकारियों को कहीं और भेज रहा है? ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि खुद फेसबुक की मालिकाना हक वाली कंपनी व्हाट्सएप ने अमेरिका की एक अदालत में चल रहे केस के दौरान ये खुलासा किया कि पीगासस नाम के स्पाईवेयर का इस्तेमाल कर लोगों की जासूसी की गयी.


व्हाट्सएप के मुताबिक, इसराइल की साइबर इंटेलिजेंस कंपनी NSO ने अपने स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल भारत में भी किया और इस साल मई के महीने में इसके जरिए भारत के कई पत्रकारों, वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की गयी.


ये खुलासा इसलिए भी ज्यादा अहम हो जाता है क्योंकि मई में लोकसभा के चुनाव हो रहे थे. जासूसी वाले खुलासे के बाद देश में राजनीति गर्म है. विपक्ष ने सरकार पर जासूसी का आरोप लगाया है और कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में पूरे मामले की जांच हो. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ''NSO ने भी कहा है कि वो सिर्फ सरकारी ऐजेंसी को ही ये सॉफ्टवेर बेचती है. रविशंकर प्रसाद और मोदी बताएं कि सरकार की कौनसी एजेंसी ने ये सोफ्टवेर ख़रीदा है.'' वहीं सरकार ने चार नवंबर तक व्हाट्सएप से जवाब मांगा है.


भारत में किन-किन लोगों की हुई जासूसी?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में जिन लोगों की जासूसी की गई, उनमें से 17 लोगों के नाम आए हैं.


1. रवींद्रनाथ भल्ला: तेलंगाना हाईकोर्ट में अधिवक्ता और राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए काम करने वाले रवींद्रनाथ भल्ला ने कहा कि 7 अक्टूबर को, सिटीजन लैब (कनाडा स्थित साइबर सुरक्षा समूह) ने मुझे मैसेज किया, उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने सिविल सोसाइटी के खिलाफ इंटरनेट खतरों पर नज़र रखने का काम किया. मैंने इसे नजरअंदाज कर दिया ... व्हाट्सएप से एक आधिकारिक संदेश मिलने के बाद, मैंने सिटीजन लैब को जवाब दिया.


2. अमर सिंह चहल: चंडीगढ़ में मानवाधिकार वकील हैं और मानवाधिकार इंटरनेशनल के सदस्य हैं. उन्होंने कहा कि मुझे जासूसी के बारे में नहीं पता है.


3. आनंद तेलतुंबड़े: गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में प्रोफेसर हैं और दलित अधिकारों के लिए आवाज उठाते हैं. उन्होंने कहा कि मुझे 10 से 12 दिन पहले एक मैसेज आया. बाद में मैंने टोरंटो यूनिवहर्सिटी में एक दोस्त है, उससे संपर्क करके उस आदमी के बारे में जानकारी निकाली. बाद में मुझे उनसे पता चला कि पीगासस नाम का स्पायवेअर बनाया है उसका यूज करके मोबाइल को हैक किया जा सकता है.


4. बेला भाटिया: मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील हैं और बस्तर में आदिवासियों के अधिकारों के लिए काम करती हैं. उन्होंने कहा कि सितंबर के आखिर में मुझे इसकी जानकारी मिली. कई बार फोन आए, मैंने रिसीव नहीं किया.


5. डिग्री प्रसाद चौहान: मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं और छत्तीसगढ़ में काम करते हैं. उन्होंने कहा कि पहले मुझे कुछ ईमेल आए, संदेह हुआ तो नहीं खोला. 29 अक्टूबर को व्हाट्सएप ने मुझे जानकारी दी.


6. संतोष भारतीय: चौथी दुनिया के संपादक हैं. उन्होंने कहा कि टोरंटो के सिटीजन लैब से मुझे जानकारी मिली.


7. वकील शालिनी गेरा: गेरा जेल में बंद कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और जगदलपुर लीगल एड ग्रुप की सह संस्थापक हैं. उन्होंने कहा कि मुझे एक स्वीडिश नंबर से बार-बार वीडियो कॉल आए. व्हाट्सएप ने 29 अक्टूबर को संपर्क किया और सावधानी बरतने की सलाह देते हुए एक संदेश भेजा.


8. निहाल सिंह राठौड़: नागपुर में वकालत करते हैं और भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार वकील-कार्यकर्ता सुरेंद्र गडलिंग के जूनियर हैं. उन्होंने कहा कि मुझे लगातार व्हाट्सएप के माध्यम से वीडियो कॉल आ रहे थे. मैंने जनवरी 2019 में अपना फोन बदल दिया. मैंने 28 मार्च को व्हाट्सएप से शिकायत की.


9. जगदीश मेश्राम: गढ़चिरौली में वकालत करते हैं और इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीपुल्स लॉयर्स के सदस्य हैं. उन्होंने कहा कि मेरे पास इस साल मार्च से मई के बीच कई अंतरराष्ट्रीय वीडियो कॉल आए. कभी दो-चार दिनों में एक तो कभी दिन में दो बार फोन आते थे. आज, मुझे इज़राइली स्पायवेयर पेगासस के बारे में पता चला.


10. अंकित ग्रेवाल: चंडीगढ़ में मानवाधिकार वकील हैं और इंडियन एसोसिएशन ऑफ़ पीपुल्स लॉयर्स के संयुक्त सचिव हैं. उन्होंने कहा कि मार्च 2019 से लेकर मई तक कई कॉल आए. विदेशी नंबरों से कम से कम, 8 मिस्ड कॉल (वीडियो) आए. मैंने सुधा भारद्वाज के साथ काम किया है.


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11. विवेक सुंदर: मुंबई स्थित नागरिक और पर्यावरण अधिकार कार्यकर्ता हैं. उन्होंने कहा, “मुझे कुछ नंबरों से मिस्ड कॉल आया था. टोरंटो की संस्था ने मुझे व्हाट्सएप संदेश भेजा. मुझे चेतावनी दी.


12. सीमा आजाद: मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं और पीयूसीएल से जुड़ी हैं, इलाहाबाद से एक हिंदी पत्रिका दस्तक नए समय की निकालती हैं. उन्होंने कहा कि व्हाट्सएप ने मुझे मैसेज किया ... मुझे ऐप अपडेट करने की सलाह दी. लेकिन मैं व्यस्त थी और मुझे लगता था कि यह एक नियमित संदेश है, इसलिए मैंने इसे अनसुना कर दिया.


13. डॉ सरोज गिरि: दिल्ली विश्वविद्यालय में लेक्चरर हैं. उन्होंने कहा कि सिटीजन लैब ने डेढ़ महीने पहले मुझसे संपर्क किया. मुझे नहीं पता था कि वे कौन थे, लेकिन जब मैंने शोध किया, तो मुझे लगा कि यह गंभीर है. व्हाट्सएप ने मुझसे बहुत बाद में संपर्क किया, और मुझे बताया गया कि वे मुझे एक हफ्ते बाद अपने फोन पर संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट भेजेंगे और उन्होंने मुझे भेज दिया.


14. राजीव शर्मा: दिल्ली स्थित स्तंभकार और रणनीतिक मामलों के विश्लेषक हैं. उन्होंने कहा कि 29 अक्टूबर को रात 9.36 बजे मुझे व्हाट्सएप से मैसेज मिला, जिसमें कहा गया था कि मेरा फोन खतरे में हो सकता है. मेरे पास पहला कॉल 15-20 दिन पहले कनाडा स्थित एनजीओ से आया था. मुझे फोन बदलने की सलाह दी गई थी.


15. शुभ्रांशु चौधरी: बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में काम कर चुके हैं और अब आदिवासियों के लिए ’बुल्टू’ रेडियो (या ब्लूटूथ रेडियो) चलाते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले मुझे एक फोन आया था. मुझसे पूछा गया कि आप कौन हैं? तो मैंने पूछा, 'तुम कौन हैं?' उन्होंने पूछा कि क्या अपने फोन पर कुछ अजीब गतिविधियां देखीं है. मैंने उन्हें बताया.


16. आशीष गुप्ता: दिल्ली में पत्रकारिता करते हैं और असमिया प्रतिदिन ब्यूरो के प्रमुख हैं. लोकतांत्रिक अधिकार संगठन में मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं. उन्होंने कहा कि मुझे अक्टूबर की शुरुआत में कनाडा के सिटीजन लैब से फोन आया था. मुझे व्हाट्सएप के बारे में बताया गया और कुछ बुनियादी सावधानियां बरतने की सलाह दी.


17. सिद्धान्त सिब्बल: दिल्ली में पत्रकारिता करते हैं और WION के राजनयिक और रक्षा संवाददाता हैं. उन्होंने कहा कि मुझे एक महीने पहले ब्रीच के बारे में पता था, जब व्हाट्सएप सिटिजन लैब ने मुझसे संपर्क किया.


पत्रकार, वकील, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी को लेकर आज कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मोदी सरकार पर निशाना साधा. प्रियंका ने ट्वीट कर कहा, ''अगर बीजेपी या सरकार ने पत्रकारों, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं के फोन की जासूसी करने के लिए इजराइली एजेंसियों को लगाया है तो यह मानवाधिकार का घोर उल्लंघन और बड़ा स्कैंडल है जिसका राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर असर होगा.''


वहीं अखिलेश यादव ने कहा, ''व्हाट्सएप के माध्यम से विदेशी कम्पनी द्वारा जासूसी किए जाने की ख़बर बेहद संवेदनशील व राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती का विषय है. ये लोगों की निजी ज़िंदगी में झांकने का दुस्साहस है. इस विषय में बीजेपी सरकार की भूमिका का खुलासा होना ही चाहिए. बीजेपी के समर्थक तक इसके विरोध में हैं.''