बाराबंकी: उत्तर प्रदेश में आज से सरकार ने गेहूं की ख़रीद का काम शुरू कर दिया है. आज से शुरू होकर गेहूं ख़रीद की प्रक्रिया 15 जून तक चलेगी. पूरे प्रदेश में 5500 गेहूं क्रय केंद्र बनाए गए हैं. सरकार का लक्ष्य है कि इस साल 55 लाख मेट्रिक टन गेहूं की ख़रीद की जाएगी. इसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 1925 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है. इस 1925 रुपये के अलावा 20 रुपये गेहूं ढुलाई के लिए भी मिलेगा. हालांकि किसान को यह 20 रुपया मज़दूर को ख़ुद से देना होगा और जब सरकार अकाउंट में पैसे भेजेगी तो, उसमें 20 रुपये भी भेजे जाएंगे. लॉकडाउन के दौरान किसानों की भीड़ ने हो, इसके लिए इस बार ख़ास इंतज़ाम किये गए हैं. इस बार किसानों को मोबाइल से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा. रजिस्ट्रेशन के बाद क्रय केंद्रों की तरफ से एक निश्चित तारीख़ दी जाएगी. उस तारीख़ को किसान क्रय केंद्र पहुंचकर अपना गेहूं बेच सकेगा.


एबीपी न्यूज़ ने बाराबंकी में गेहूं क्रय केंद्र का जायज़ा लिया. यहां क्रय केंद्र पर तैयारियां पूरी दिखाई दीं. क्रय केंद्र पर किसानों को कई प्रक्रियाओं से गुज़रना होता है. किसान को अपने खेत से क्रय केंद्रों तक गेहूं खुद लेकर आना होगा. क्रय केंद्र पहुंचकर रजिस्ट्रेशन नम्बर बताना होगा. रजिस्ट्रेशन के मुताबिक़ प्रक्रिया आगे बढ़ेगी. सबसे पहले किसान के गेहूं की आद्रता मापी जाएगी. मशीन में गेहूं डालकर आद्रता जांचकर यह तय किया जाएगा कि 17 फ़ीसदी से ज़्यादा नमी गेहूं में नहीं है. यहां से पास होने के बाद गेहूं की सफ़ाई होगी. सफाई के लिए मशीन लगाई गई है. सफाई होने के बाद सरकारी बोरे में भरकर गेहूं तौला जाएगा. इसके बाद किसान को तौल के मुताबिक पर्ची दी जाएगी. इस पर्ची के आधार पर सरकार सीधा किसान के खाते में पैसे ट्रांसफर करेगी.


लॉकडाउन का असर आज क्रय केंद्र पर देखने को मिला जहां दोपहर 12.30 बजे तक एक भी किसान अपना गेहूं बेचने क्रय केंद्र तक नहीं पहुंचा. क्रय केंद्रों के खुलने का समय सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक रखा गया है. हालांकि हर साल शुरुआत में किसानों की आवक कम होती है, उम्मीद है 1-2 दिनों में किसानों की संख्या क्रय केंद्रों पर ज़रूर बढ़ेगी.


बाराबंकी में गेहूं ख़रीद को लेकर हमने संबंधित अधिकारियों से बात कर तैयारियों का जायज़ा लिया. कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर अनिल कुमार सागर ने बताया कि हर साल से अलग सरकार ने फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन से सीधे ख़रीद की अनुमति दे दी गई है. यानी किसानों के फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइज़ेशन ऐसे संगठन हैं जो कम्पनीज़ ऐक्ट में रजिस्टर्ड संस्था है, जो 1000 किसानों का समूह होता है. ऐसे 8 संगठन बाराबंकी में हैं, जिनके ज़रिए ख़रीद की जाने की अनुमति दी गई है. उन्होंने स्वीकार किया कि पंजाब और पश्चिमी यूपी से आने हार्वेस्टर नहीं आ पा रहे हैं, ऐसे में 57 हार्वेस्टर जो ज़िले में हैं, उन्हीं से कटाई हो रही है. हालांकि उन्होंने कहा कि किसानों को मज़दूरों की दिक्कत नहीं आ रही है क्योंकि जो मज़दूर बाहर से आये हैं वो क्वॉरंटीन पीरियड पूरा कर चुके हैं और अब आसानी से कटाई कर सकते हैं.


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