आकाश में आज होगा महामिलन: पास होकर भी 73 करोड़ KM दूर होंगे बृहस्पति और शनि
एक वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार 1623 में भी सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति और शनि एक दूसरे के इतने क़रीब आए थे, लेकिन उस वर्ष इनके मिलन का समय दिन में था, इसलिए इस खगोलीय घटना को खुली आंखों से देख पाना संभव नहीं था
लखनऊ: 21 दिसंबर साल का सबसे छोटा दिन होता है और सबसे लम्बी रात होती है, लेकिन इस बार ये लम्बी रात कुछ ज़्यादा ही खास है. क्योंकि आज होने जा रहा है आकाश में दो ग्रहों का महामिलान. सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति और शनि एक दूसरे के बेहद करीब होंगे और इस ऐतिहासिक खगोलीय घटना को आप अपनी खुली आंखों से देख सकेंगे.
खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार ये दो गृह सूर्य की परिक्रमा करते हुए लगभग 20 वर्ष में एक दूसरे के समीप आते हैं, लेकिन इतने करीब 800 साल में एक बार ही आते हैं. यानी इससे पहले ये खगोलीय घटना सन् 1226 में हुई थी. भारतीय खगोल वैज्ञानिक प्रदीप चक्रवर्ती के अनुसार भारत में इस खगोलीय घटना को सूर्यास्त के समय लगभग 5 बजे बाद से देखा जा सकता है.
दो ग्रहों के महामिलन से क्या पृथ्वी पर पड़ेगा कोई असर? वैज्ञानिकों के अनुसार सौर्यमंडल में खगोलीय घटनाए होती रहती हैं. लेकिन कुछ ऐसी घटनाए होती हैं जो खगौलिक इतिहास में दर्ज हो जाती हैं, जैसे मंगल गृह का 13 अक्टूबर को पृथ्वी के करीब से गुजरना. ये 15 वर्षो में एक बार होता है, उल्का पिंडो का आकाश में जगमगाना, कभी कोई बड़ा उल्का पिंड पृथ्वी पर गिरना, ऐसी घटना काफी लम्बे समय के बाद होती हैं, जब भी कोई ऐसी घटना होती है, वैज्ञानिकों की चिंताएं बढ़ जाती हैं. हालांकि कई बार ऐसा होता है की जब कोई गृह पृथ्वी के पास से होकर गुजरता है, तो उसके कई प्रभाव देखने को मिलते हैं, लेकिन इस महामिलन से पृथ्वी पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा.
क्या 1623 में भी हुआ था इन दोनों ग्रहों का महामिलन ? एक वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार 1623 में भी सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति और शनि एक दूसरे के इतने क़रीब आए थे, लेकिन उस वर्ष इनके मिलन का समय दिन में था, इसलिए इस खगोलीय घटना को खुली आंखों से देख पाना संभव नहीं था, लेकिन इस बार इन ग्रहों के मिलने का समय सूर्यास्त के बाद है, जिस कारण हमें ये खुली आंखों से भी दिखाई देगा.
दिखेंगे एक साथ, लेकिन होंगे 73 करोड़ KM दूर खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार, ग्रेट कंजक्शन की इस घटना के समय बृहस्पति की पृथ्वी से दूरी लगभग 5.924 एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट होगी, जबकि शनि की दूरी 10.825 एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट होगी. दोनों ग्रह इस तरह मिलते जरूर दिखेंगे, लेकिन हकीकत में ये ग्रह एक दूसरे से 73 करोड़ किलो मीटर से भी कहीं ज्यादा दूरी पर परिक्रमा कर रहे होंगे.
कहां से दिखेगा ये नज़ारा शाम पांच बजे के बाद किसी भी ऊंची इमारत या स्थान से दक्षिण-पश्चिम में सूर्यास्त के समय दोनों गृहों के महामिलन को सीधे तौर पर अपनी आंखों से देख सकेंगे. अंधेरा होते ही आप उस स्थान पर, जहां कि सूर्य था, ग्रहों की जोड़ी को देखेंगे, जिसमें ज्यादा चमकता ग्रह जुपिटर होगा. इसके बाएं ओर कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार, अगर आपके पास कोई अच्छा बाइनोकुलर या टेलिस्कोप है, तो आप गुरु के चार बड़े चंद्रमा और शनि के वलय को भी देख सकेंगे. इसलिए 21 दिसंबर की शाम निहारिये आकाश की ओर और देखिए दो ग्रहों के इस महामिलन को, क्योंकि इसके बाद इन दोनों गृहों का मिलन 15 मार्च 2080 में होगा.
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