नई दिल्ली: भारत रत्न और देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार को 94 साल की उम्र में निधन हो गया है. 11 जून से दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में एडमिट अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 अगस्त की शाम 5 बजकर 5 मिनट पर आखिरी सांस ली. अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र जब भी होता है तो पोखरण उनकी यादों में जुड़ जाता है. लेकिन इस पोखरण टेस्ट के एक और हीरो डाक्टर एपीजे अब्दुल कलाम भी थे, जो कि आगे चलकर देश के 11वें राष्ट्रपति बने. लेकिन कम ही लोगों को मालूम होगा कि कलाम को राष्ट्रपति बनने के लिए राजी करना अटल के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था.


 11 मई 1998 को हुए पोखरण परिक्षण के बाद से ही वाजपेयी और कलाम के बीच मुलाकातों के दौर बढ़ने लगे और वह दोनों अच्छे दोस्त बन गए. हालांकि दोस्ती के बावजूद वाजपेयी के लिए कलाम को राष्ट्रपति बनने के लिए राजी करना इतना आसान नहीं था. वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी ने अपनी किताब 'हार नहीं मानूंगा' में अटल के कलाम को राष्ट्रपति बनने के लिए राजी करने के पूरे किस्से का जिक्र किया है.


विजय त्रिवेदी ने अपनी किताब में लिखा है, ''10 जून 2002 को ए.पी.जे अब्दुल कलाम चेन्नई की अन्ना यूनिवर्सिटी में 'विजन टू मिशन' पर अपना भाषण दे रहे थे. जब वह शाम को लौटे तो अन्ना यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर ए. कलानिधी ने उन्हें कहा कि आपसे बात करने के लिए मेरे ऑफिस में लगातार फोन आ रहे हैं.'' इसके बाद जब कलाम अपने कमरे में पहुंचे तो भी फोन की घंटी बज रही थी. जब उन्होंने फोन उठाया तो आवाज आई, ''प्रधानमंत्री जी आपसे बात करना चाहते हैं.'' जब तक कलाम प्रधानमंत्री से बात करते उससे पहले ही उनके फोन पर आंध्र प्रदेश के सीएम चन्द्रबाबू नायडू का फोन आ गया और उन्होंने कहा, ''आपके पास पीएम का एक जरूरी कॉल आने वाला है. प्लीज ना मत कहिएगा.''


इसके बाद दूसरे फोन पर वाजपेयी की आवाज सुनाई दी. वाजपेयी ने पूछा, ''कलाम साहब काम कैसा चल रहा है.''


जवाब मिला, ''बहुत बढ़िया. फैंटास्टिक.''


वाजपेयी ने कहा, ''मेरे पास आपके लिए बहुत अहम खबर है, अभी मैं एनडीए में सहयोगी दलों की बैठक से आ रहा हूं और हमने सर्व सहमति से तय किया है कि देश आपको राष्ट्रपति के तौर पर देखना चाहता है. आपकी सहमति चाहिए. मुझे रात को इसका एलान करना है. मुझे केवल हां चाहिए, ना नहीं.''


कलाम ने कहा, ''वाजपेयी जी मुझे 2 घंटे का वक्त दीजिए. इसके साथ ही राष्ट्रपति चुनाव के लिए दूसरे राजनीतिक दलों की सहमति भी चाहिए होगी.''


वाजपेयी ने कहा, ''आपके तैयार होने के बाद हम सबसे सहमति बनाने का पर काम करेंगे.''


दो घंटे बाद कलाम ने फोन किया, ''वाजपेयी जी, मुझे यह बहुत महत्वपूर्ण मिशन लगता है लेकिन मैं सभी पार्टियों की तरफ से उम्मीदवार बनना चाहता हूं.''


वाजपेयी ने जवाब दिया, ''हम इस पर काम करेंगे.''


इसके बाद वाजपेयी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को फोन किया. सोनिया गांधी ने पूछा कि क्या इस पर एनडीए में फैसला हो गया है. वाजपेयी ने कहा, हां. सोनिया ने कांग्रेस और अपने सहयोगी दलों से सलाह करने के बाद 17 जून 2002 को कलाम का सर्मथन देने का एलान किया. 18 जुलाई 2002 को कलाम भारी बहुमत के राष्ट्रपति चुने गए.