NRC और CAA पर हंगामे के बीच NPR अपडेट करने पर हो सकता फैसला, सुबह 10.30 बजे होगी कैबिनेट की बैठक
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर है जबकि NRC नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजनशिप है. NPR से देश के निवासियों की पूरी जानकारी रखना मकसद जबकि NRC से घुसपैठियों की पहचान होगी. NPR का नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है जबकि NRC से नागरिकता तय होगी.
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नई दिल्ली: नागरिकता कानून और एनआरसी पर मचे हंगामे के बीच मोदी सरकार आज एक और फैसला लेने जा रही है जिसपर हंगामा हो सकता है. ये फैसला राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने का है. आज पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक बुलाई गई है. सरकार जल्द ही NPR को भी अपडेट करने का काम शुरू करने वाली है।
इसके लिए 31 जुलाई को काम की प्रक्रिया शुरू करने की अधिसूचना भी जारी कर दी गई थी। आज यानी मंगलवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में 2021 की जनगणना और NPR को अपडेट करने की औपचारिक मंज़ूरी मिलने की संभावना है.
नागरिकता कानून: पश्चिम बंगाल के बाद केरल सरकार ने भी एनपीआर का काम रोका
इसके साथ ही इन दोनों कामों के लिए कैबिनेट करीब 8500 करोड़ रुपए के बजट को मंज़ूरी दे सकती है. वैसे तो 2010 में पहली बार एनपीआर बनाने की शुरुआत हुई थी लेकिन एनआरसी और नागरिकता कानून पर जारी विवाद के बीच एनपीआर को अपडेट करने का फैसला नई बहस छेड़ सकता है. आपको बता दें कि बंगाल और केरल सरकार पहले ही अपने यहां एनपीआर के लिए जारी प्रक्रिया को स्थगित कर चुकी है.
नेशनल पॉप्यूलेशन रजिस्टर से सरकार भारत में रह रहे 5 साल से बड़े हर निवासी की जानकारी जुटाएगी. सवाल ये भी है कि जब देश एक है तो इतने तरह की पहचान की जरूरत क्यों है. आधार कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट, राशन कार्ड, बैंक का पासबुक, बिजली का बिल, रजिस्ट्री का पेपर, पानी का बिल, गैस का कनेक्शन के रहते आखिरी NPR की जरूरत क्यों है?
आखिर ये NPR क्या है और ये क्यों जरूरी है? NPR यानि नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर, वो रजिस्टर जिसमें देश में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की पूरी जानकारी होगी. एक ऐसा रजिस्टर जिसमें देश के निवासियों की पहचान से जुड़ी हर तरह की सूचना होगी. गृह मंत्रालय के तहत आने वाली ऑफिस ऑफ द रजिस्ट्रार जनरल एंड सेंसस कमिश्नर की वेबसाइट के मुताबिक यह देश में रहने वाले लोगों की जानकारी का एक रजिस्टर होगा.
इसके लिए लोगों से नाम, पता, पेशा, शिक्षा जैसी 15 जानकारियां मांगी जाएंगी. लोगों की फोटो, फिंगर प्रिंट, रेटिना की भी जानकारी ली जाएगी. 5 साल से अधिक उम्र के निवासियों से जुड़ी हर सूचना होगी. सरकार की अधिसूचना के मुताबिक इस बार भी NPR के लिए आंकड़े जुटाने का काम 2020 में 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक किया जाएगा. इन सबके अलावा NPR यानी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में नागरिकता की जो जानकारी दी जाएगी वो स्वघोषित यानी खुद से बताई गई होगी, जो व्यक्ति की नागरिकता का पुख्ता सबूत नहीं होगी.
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर की जरूरत क्या है? सेंसस ऑफ इंडिया की वेबसाइट के होमपेज पर नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटिजन्स का लिंक है जिसके अंदर नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर का जिक्र है. इसके मुताबिक नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर का उद्देश्य देश में रहने वाले प्रत्येक शख्स की पहचान का डेटाबेस तैयार करना है. इसके लिए लोगों की भौगोलिक और शरीर से जुड़ी बाहरी और भीतरी जानकारी रखी जाएगी.
NPR से फायदा क्या होगा ? देश के हर निवासी की जानकारी और पहचान सरकार के पास होगी. इससे सरकारी योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंच सकेगा. देश की सुरक्षा के लिए कारगार कदम उठाए जा सकेंगे. आपको बता दें कि साल 2010 में पहली बार एनपीआर बनाने की शुरुआत हुई थी. माना जा रहा है कि नए नागरिकता कानून के बाद अब एनपीआर पर भी विवाद हो सकता है.
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