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CJI DY Chandrachud: ऑफिस में अचानक बीमार हुई सहकर्मी तो आराम के लिए CJI चंद्रचूड़ ने खुलवाया गेस्ट रूम, पत्नी ने बनाकर भेजी खिचड़ी
CJI DY Chandrachud: सीजेआई चंद्रचूड़ की सहकर्मी एडवोकेट मानसी चौधरी अपने ब्लॉग में लिखती हैं कि कैसे वे अपनी टीम को एक परिवार की तरह ख्याल रखते थे. इस दौरान उन्होंने सीजेआई की पत्नी का भी जिक्र किया.
![CJI DY Chandrachud: ऑफिस में अचानक बीमार हुई सहकर्मी तो आराम के लिए CJI चंद्रचूड़ ने खुलवाया गेस्ट रूम, पत्नी ने बनाकर भेजी खिचड़ी When colleague went ill in office DY Chandrachud opens guest house wife make khichdi advocate manasi chaudhary recounts CJI Supreme Court CJI DY Chandrachud: ऑफिस में अचानक बीमार हुई सहकर्मी तो आराम के लिए CJI चंद्रचूड़ ने खुलवाया गेस्ट रूम, पत्नी ने बनाकर भेजी खिचड़ी](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/06/23/437ba1edac78a0992cc55bd5a04c6fe81719137067120708_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
CJI DY Chandrachud: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ अपनी सादगी को लेकर देश भर में मशहूर हैं. सीजेआई चंद्रचूड़ की सहकर्मी एडवोकेट मानसी चौधरी ने अपने एक ब्लॉग में उनका जिक्र करते हुए बताया कि कैसे वे अपने साथ काम करने वालों की छोटी से छोटी चीजों का ख्याल रखते थे. एडवोकेट मानसी चौधरी ने बताया कि चीफ जस्टिस देश के सबसे व्यस्त लोगों में से एक होने के बावजूद अपनी टीम का हमेशा एक परिवार की तरह ध्यान देते थे.
सहकर्मी ने बताया बीमार पड़ने पर CJI ने कैसे रखा ख्याल
एडवोकेट मानसी चौधरी ने लिखा कि एक दिन वह बीमार पड़ गई थी तो उसके बाद सीजेआई ने और उनके परिवार ने कैसे उनका ख्याल रखा था. अपने ब्लॉग के जरिए उन्होंने कहा, एक दिन मुझे बुखार हो गया और मैं ऑफिस नहीं जा सकी थी तो उन्होंने (सीजेआई) मुझे कॉल करके मेरी तबीयत के बारे में पूछा. जब मुझे पता चला कि ऑफिस में मुझे फुड पॉइजिंग हुई तो सर और मैम (सीजेआई और उनकी पत्नी) ने जिस तरह से मेरा ध्यान रखा वह मुझे आज भी याद है.
CJI ने बीमार वकील के लिए अपना गेस्ट रूम करवाया तैयार
मानसी चौधरी ने कहा, "मैं ऑफिस गई तो सर (सीजेआई) के सचिव ने मुझसे पूछा कि क्या आप आपके पास कोई दवा है. अगले ही पाल सर और मैम ने मुझे अंदर बुला लिया और मुझे दवा दी. इतना ही नहीं उन्होंने मेरे लिए अपना गेस्ट भी तैयार करवाया और मुझे वहीं आराम करने के लिए कहा. दोपहर के भोजन के लिए मैडम ने मेरे लिए विशेष खिचड़ी भी बनवाई. वे लोग मुझे आसानी से घर भेज सकते थे, लेकिन उन्होंने इससे ज्यादा करते हुए मेरा ख्याल रखा."
एडवोकेट ने आगे लिखा कि एक बार वह दिल्ली से हैदराबाद लौट रही थीं तो एयरपोर्ट पर चीफ जस्टिस ने उन्हें फोन कर यह सुनिश्चित किया कि वह सुरक्षित तो हैं न. मानसी चौधरी लिखती हैं कि उन्होंने सीजेआई से न केवल, बल्कि विनम्रता, उदारता और दयालुता भी सीखी हैं.
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