जब सबसे पुराने दोस्त प्रकाश करात के खिलाफ ही खोल दिया था मोर्चा! जानें कौन थे सीताराम येचुरी
Sitaram Yechury: सीताराम येचुरी ने दिवंगत पार्टी नेता हरकिशन सिंह सुरजीत के मार्गदर्शन में सियासत में कदम रखा था. वह 2015 में प्रकाश करात के बाद माकपा महासचिव बने थे.
Sitaram Yechury: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी का निधन हो गया है. वह पिछले कुछ समय से बीमार थे. उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती करवाया गया था. उनकी उम्र 72 साल थी. येचुरी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की. उनके परिवार में पत्नी सीमा चिश्ती येचुरी और दो बेटे हैं.
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी ने दिवंगत पार्टी नेता हरकिशन सिंह सुरजीत के मार्गदर्शन में सियासत में कदम रखा था. वह 2015 में प्रकाश करात के बाद माकपा महासचिव बने थे. चेन्नई में 12 अगस्त 1952 को जन्मे येचुरी अगस्त 2005 से 2017 तक लगातार दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे थे. वह अप्रैल 2015 से माकपा के महासचिव पद पर थे. इससे पहले 1992 से वह माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य और 1984 से माकपा की केंद्रीय समिति से सदस्य रहे थे.
करात और येचुरी में मतभेद
तेजी से घटते जनसमर्थन और विधानसभा चुनावों के साथ लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद सबसे बड़ी लेफ्ट पार्टी सीपीएम के भीतर वैचारिक टकराव तेज हो गया था. पार्टी महासचिव प्रकाश करात और सीनियर पोलित ब्यूरो नेता सीताराम येचुरी के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए थे. महासचिव सीताराम येचुरी का एक प्रस्ताव खारिज होगया. उनके और प्रकाश करात जो उनसे पहले महासचिव रह चुके हैं. दोनों के बीच की ल़डाई अब सतह पर आ चुकी थी., इस लड़ाई का एक नतीजा 2019 के लोकसभा चुनावों में विपक्षी एकता को लगा.
2004 के लोकसभा चुनावों में 44 सीट जीतने के बाद गिरा था CPM का ग्राफ
असल में 2004 के लोकसभा चुनावों में 44 सीट जीतने वाली सीपीएम 9 सीटों वाली पार्टी होकर रह गई थी. पश्चिम बंगाल और केरल में पार्टी हार चुकी थी और अभी केवल त्रिपुरा जैसे छोटे राज्य में ही उसकी सरकार बची थी. 2004 में सीपीएम ने कांग्रेस को केंद्र में सरकार बनाने में मदद की, लेकिन 2008 में न्यूक्लियर डील पर पनपे मतभेदों के बाद समर्थन वापस ले लिया थी. उसके बाद से लगातार पार्टी का पीछे खिसकती गई.
ऐसे में येचुरी पार्टी की रणनीति को सही बताते हुए उसे लागू करने की जिम्मेदारी महासचिव प्रकाश करात पर डाल रहे थे. उनके मुताबिक ये रणनीति तो पार्टी के बुजुर्ग नेताओं ज्योति बसु और हरिकिशन सिंह सुरजीत के वक्त से चल रही थी, लेकिन करात ने उसे लागू करने में गलती की.