Republic Day: देश भर में आज 73वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है. इस मौके पर आज राजपथ पर परेड समेत झांकियां निकाली जाएंगी. साल 1950 में 26 जनवरी के दिन देश का संविधान अस्तित्व में आया था. हालांकि, 26 जनवरी 1949 इसको बना लिया गया था लेकिन 1950 से इसकी गणतंत्रिक के रूप में नई यात्रा शुरू हुई थी. राजपथ पर निकले वाली परेड और झांकियों को देखने के लिए लोग कोने-कोने से देश की राजधानी दिल्ली आते हैं. आइये जानते हैं राजपथ के कुछ इतिहास के बारे में और आखिर गणतंत्र दिवस परेड का सिलसिला कब से शुरू हुआ?
26 जनवरी 1950 को गुरुवार का दिन था और टीवी स्क्रीन पर हर हिंदुस्तानी को गर्व से भर देने वाली तस्वीर देखने को मिली थी. राजपथ देश के पहले गणतंत्र दिवस के जश्न का गवाह बना था. अंग्रेजों के वक्त ये सड़क किंग्सवे के नाम से जानी जाती थी. किंग्सवे यानि राजा का रास्ता. इस रास्ते पर ब्रिटेन के शासक चलते थे. 1947 में देश को आजादी मिली और साल 1955 में किंग्सवे हिंदुस्तान के लिए राजपथ बना.
देश के पहले भारतीय गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने 26 जनवरी 1950 को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर भारत को एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया. इस घोषणा के 6 मिनट बाद डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को भारतीय गणतंत्र के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई गई. देश ने राजपथ पर हर साल गणतंत्र दिवस की परेड को निकलते हुए देखा है लेकिन गणतंत्र दिवस की पहली परेड राजपथ पर नहीं हुई थी. 1950 की पहली गणतंत्र दिवस परेड इर्विन स्टेडियम में हुई थी जिसे आज नेशनल स्टेडियम कहा जाता है.
1950-1954 तक यानि चार साल तक गणतंत्र दिवस इर्विन स्टेडियम, किंग्सवे कैंप से लेकर लाल किला और रामलीला मैदान तक आयोजित होता रहा. वहीं साल 1955 से राजपथ 26 जनवरी परेड का स्थायी स्थल बन गया. अब राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक 3 किमी तक राजपथ नए और भव्य रूप में बनकर तैयार हो चुका है. राजपथ पर राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक का पहला स्ट्रेच बनकर तैयार है जो सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के अंदर आता है. राजपथ का रंग बदला है लेकिन रूप नहीं. माना जा रहा है राजपथ वैसा ही दिखेगा जैसा देश अब तक देखता आया है लेकिन उसका स्वरूप भव्य हो गया है. राजपथ को दोनों तरफ 6-6 फीट चौड़ा कर दिया गया है.
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