जब IAS अधिकारी ने CJI से पूछा- 'कहां है जस्टिस?', चंद्रचूड़ मुस्कुराए और बोले- 'पीछे से आ रहे हैं'
CJI DY Chandrachud: एडवोकेट मानसी लिखती हैं कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के बारे में एक बात कम ही लोग जानते हैं कि उनका सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत बढ़िया है, क्योंकि वो अपने पद का बोझ बहुत ज़्यादा नहीं उठाते.
CJI DY Chandrachud: भारत की सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ अपनी सादगी के लिए काफी मशहूर हैं. उनके चेहरे पर अक्सर मुस्कुराहट बनी रहती है. इस बीच सीजेआई के साथ काम कर चुकीं एडवोकेट मानसी चौधरी ने अपने ब्लॉग में उनसे जुड़े कई किस्से बयान किए हैं.
इस दौरान एडवोकेट मानसी लिखती हैं कि जब जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट में जज के तौर पर आए तो मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिला. इस दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ के बारे में एक कम ही लोग जानते हैं कि उनका सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत बढ़िया है. मानसी अपने ब्लॉग में लिखती है कि जस्टिस चंद्रचूड़ अक्सर हमें अपने जीवन के मजेदार किस्से और अनुभव सुनाकर हंसाते रहते थे.
IAS ने पूछ लिया कहां हैं जस्टिस चंद्रचूड़?
मानसी ने बताया कि एक बार सर ने हमें जो सबसे मजेदार किस्सा सुनाया, जिसके बारे में मुझे लगता है कि सर को बुरा नहीं लगेगा, वह उनके उत्तर प्रदेश के चीफ जस्टिस रहने के दिनों का है. इस दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ को एक महत्वपूर्ण राजकीय समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था. ऐसे में चीफ जस्टिस होने के नाते सर के पास सुरक्षा के लिए कारों का एक बड़ा काफिला था. एक आईएएस अधिकारी को जस्टिस चंद्रचूड़ की अगवानी करनी थी और उन्हें अंदर ले जाना था.
इस दौरान आईएएस अधिकारी को उम्मीद नहीं थी कि जस्टिस चंद्रचूड़ इतने सरल और विनम्र व्यक्ति होंगे, इसलिए उन्होंने सर को पहचाना ही नहीं. शायद सर को जज का सेक्रेटरी समझकर वह जस्टिस चंद्रचूड़ के पास गए और पूछने लगे कि जस्टिस चंद्रचूड़ कहां हैं ?" जिस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा वो पीछे से आ रहे हैं और अंदर चले गए. मानसी लिखती है कि कहने की जरूरत नहीं कि आईएएस अधिकारी को यह जानकर बहुत शर्मिंदगी हुई कि जस्टिस चंद्रचूड़ पीछे से नहीं आ रहे थे और अंदर चले गए .
CJI चंद्रचूड़ पद का बोझ बहुत ज़्यादा नहीं उठाते
हालांकि, जस्टिस चंद्रचूड़ का जवाब न केवल हास्यास्पद था, बल्कि एक व्यक्ति के रूप में उनकी उदारता को भी दर्शाता है.जस्टिस चंद्रचूड़ की जगह अगर कोई और होता तो आईएएस अधिकारी की गलती पर आसानी से नाराज़ हो जाता, लेकिन जस्टिस चंद्रचूड़ नहीं, क्योंकि वो अपने पद का बोझ बहुत ज़्यादा नहीं उठाते.