अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विदेश, रक्षा और वित्त मंत्रालय संभालने वाले जसवंत सिंह का आज सुबह निधन हो गया. वह कोमा में जाने तक राजनीति में पूरी तरह से एक्टिव रहे. जसवंत न सिर्फ मंत्री रहे बल्कि संकट के समय ढाल बनकर सामने भी आए.


24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस के विमान IC-814 को आतंकियों ने हाइजैक कर लिया था. आतंकी विमान को पहले अमृतसर, फिर लाहौर उसके बाद दुबई और आखिर में कंधार ले गए थे. यात्रियों को बचाने के लिए वाजपेयी सरकार को तीन आतंकी छोड़ने पड़े थे. इन तीन आतंकियों को लेकर जसवंत सिंह ही कंधार गए थे.


विमान 25 से 31 दिसंबर तक अफगानिस्तान के कंधार एयरपोर्ट पर था, जहां उस वक्त तालिबान सरकार का राज था. इस दौरान अतंकियों ने रूपेन कत्याल नामक युवा को मार दिया और अन्य कुछ यात्रियों को घायल कर दिया था. सरकार को यात्रियों की रिहाई के बदले आतंकी मसूद अजहर, मुश्ताक जरगर और उमर शेख को छोड़ना पड़ा था. आतंकियों और यात्रियों की अदला-बदली जसवंत सिंह के नेतृत्व में कंधार एयरपोर्ट पर ही हुई थी. हालांकि इसके बाद जसवंत सिंह काफी आलोचना का भी सामना करना पड़ा था.


सरकार में रहते हुए जसवंत सिंह ने पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने की बहुत कोशिश की. संसद पर हमले के बाद सरकार पर पाकिस्तान से युद्ध करने का दबाव था, लेकिन युद्ध न करने का जसवंत ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया. साल 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद भारत की आर्थिक प्रतिबंधों को लेकर काफी आलोचना हो रही थी, तब जसवंत सिंह ने ही आगे आकर उचित जवाब दिया था.


2014 लोकसभा चुनाव में जसवंत को बीजेपी से नहीं मिला था टिकट
जसवंत सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्‍व वाली एनडीए सरकार में 1996 से 2004 के बीच रक्षा, विदेश और वित्‍त जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली. भारतीय सेना में लंबे समय तक सेवा देने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा था. वह संसद के दोनों सदनों के सदस्य रहे. 1980 में पहली बार राज्यसभा गए. 1996 में वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री बने. बीजेपी सरकार गिरने के बाद जब दो साल बाद फिर वाजपेयी सरकार बनी तो विदेश मंत्री बने. 2000 में रक्षा मंत्री का कार्यभार संभाला. इसके बाद 2002 में फिर वित्त मंत्री बने.


बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक जसवंत सिंह को 2014 लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया, जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.


जसवंत सिंह अपने घर में गिरने के बाद से बीमार थे. उन्हें सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इसके बाद से उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया. इस साल जून में उन्हें दोबारा अस्पताल में भर्ती कराया गया था.


ये भी पढ़ें


पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के निधन पर राजनाथ सिंह, अरविंद केजरीवाल समेत तमाम नेताओं ने दी श्रद्धांजलि


यदि मजबूत होता पहचान और दस्तावेज़ों का तंत्र तो शायद न हो पाता कंधार कांड