सदियों से अपने प्रेमी या प्रेमिका को पाने के लिए लोग क्या क्या नहीं कर जाते हैं. विश्न इतिहास की बड़ी राजनीतिक और ऐतिहासिक घटनाओं की बुनियाद को अगर हम खंगाले तो हम पाएंगे कि उनके पीछे प्रेम था, या उसकी नाकामी थी. आपने भी प्रेम से जुड़ी कहानियां लिखी, पढ़ी और देखी होंगी. आज हम भी आपको एक ऐसी कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं जहां एक व्यक्ति ने अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए भारत से युरोप तक साइकिल चलाई थी.
यहां हम बात कर रहे हैं डॉ प्रद्युम्न कुमार महानंदिया जिन्होंने 1975 में अपनी प्रेमिका-पत्नी शालोर्ट वॉन शेडविन से मिलने के लिए भारत से यूरोप तक का सफर तय किया था. पेश से एक श्रेष्ठ कलाकार डॉ प्रद्युम्न महानंदिया आर्ट कॉलेज के छात्र थे, जिनकी कला बहुत मशहूर थी, उन दिनों ही शेडविन स्वीडन से भारत घूमने आईं थी.
भारत दर्शन के दौरान उनकी मुलाकात प्रद्युम्न से हुई, जहां पर दोनों को एक दूसरे से तब प्रेम हो गया जब डॉ प्रद्युम्न ने शेडविन की तस्वीर बनाई. दोनों ने एक दूसरे से विवाह करने का निश्चय किया. विवाह के बाद शेडविन को कुछ वजहों के कारम स्वीडन लौटना पड़ा. शेडविन ने अपने पति डॉ प्रद्युम्न से स्वीडन साथ चलने का निवेदन किया लेकिन पढ़ाई पूरी नहीं होने की वजह से वह उनके साथ नहीं जा सके, लेकिन उन्होंने वादा किया कि वह पढ़ाई पूरी होते ही उनके पास आएंगे.
फिर क्या हुआ?
डा प्रद्युम्न की पढ़ाई तो पूरी हो गई लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह हवाई मार्ग से यूरोप जा सकें. लिहाजा उन्होंने सबकुछ बेचकर कुछ पैसे जुटाए और साइकिल से ही स्वीडन जाने का फैसला कर लिया. उन्होंने पाकिस्तान, अफगानिस्तान वाया ईरान के रास्ते तु्र्की होते स्वीडन की यात्रा की. इस पूरी यात्रा में कई बार साइकिल खराब हो जाती थी. उनको कई दिनों तक बिना खाए पिये भी रहना पड़ता था. उन्होंने बताया कि वह रोज लगभग 70 किमी साइकिल चलाते थे. वह 28 मई को इस्तांबुल के रास्ते यूरोप पहुंचे जहां पर उन्होंने ट्रेन से स्वीडन की यात्रा की और एक-दूसरे के साथ विवाह बंधन में बंधे.