Emergency 1975: भारत में लोकतंत्र के लिहाज से 25 जून की तारीख एक काले दिन के तौर पर मानी जाती है. देश में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक की 21 महीने की अवधि के लिए इमरजेंसी लागू हुई थी. तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में आपातकाल की घोषणा की थी. 


आपातकाल लागू करने से पहले ही जय प्रकाश नारायण, लाल कृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी, जॉर्ज फर्नांडीस समेत उन तमाम विपक्षी नेताओं की लिस्ट तैयार की गई थी, जिन्हें गिरफ्तार किया जाना था. 


इमरजेंसी लागू होने के बाद 26 जून को तड़के जेपी को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया. दिन चढ़ते चढ़ते कई और विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया. दिल्ली में बड़े नेताओं की गिरफ्तारी के बाद पटना में भी हलचल तेज हो गई थी. 


नीतीश कुमार पर लेखक उदयकांत द्वारा लिखी गई किताब 'अंतरंग दोस्तों की नजर से नीतीश कुमार' में उस रात की घटना का भी जिक्र है, जब इमरजेंसी के दौरान नीतीश कुमार और लालू यादव को पुलिस से बचने के लिए भागना पड़ा था.


किताब में नीतीश उस रात की घटना का जिक्र करते हुए लिखते हैं, 26 जून 1975 को वे पटना इंजीनियरिंग कॉलेज के हॉस्टल में अपने मित्र के कमरे में थे. तभी मित्र ने आकर बताया कि इमरजेंसी लागू हो गई है. इस पर नीतीश कुमार उससे कहते हैं कि आपातकाल तो पहले से ही लगा हुआ है. इस पर नीतीश का दोस्त उनसे कहता है कि इमरजेंसी का ऐलान हुआ है पलिस तुम्हें पकड़ने के लिए आती ही होगी. तुम यहां से निकलो. 


नीतीश बताते हैं, इसके बाद हम में से कई लोग जेपी के घर के आसपास इकट्ठा हो गए. लेकिन वे दिल्ली में गिरफ्तार हो चुके थे. इसे लेकर हम लोगों ने प्रदर्शन शुरू किए. नीतीश के मुताबिक, इसके बाद वे लोग गिरफ्तारी से बचने के लिए भूमिगत हो गए और अंडरग्राउंड रहकर पर्चे बनाते और बांटते. 


नीतीश आगे बताते हैं, जुलाई में हम गया में फल्गु नदी के किनारे मीटिंग कर रहे थे. यहां जेपी ने खादी ग्रामोद्योग संघ की स्थापना की थी. मेरे साथ लालू यादव और जगदीश शर्मा भी थे. तभी पुलिस ने छापा मारा. मीटिंग में शामिल 16-17 नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. मैं, लालू यादव समेत 12-13 लोग वहां से भागने में सफल हुए. हम 10-12 फीट ऊंची चहारदीवारी पर चढ़ गए. दूसरी ओर सूखी पड़ी फल्गु नदी थी. हालांकि, ये काफी गहराई पर थी. 


नीतीश बताते हैं, उस वक्त उनकी और लालू यादव की उम्र 25 साल थी, लेकिन उनके साथ 50 साल के रामसुंदर जी को भी छलांग लगानी पड़ी. हम पुलिस से बचने के लिए भागते रहे. बहुत देर तक भागने के बाद लालू बेदम होकर जमीन पर लोट गए. इसी दौरान मेरी मूंगा जड़ी सोने की अंगूठी भी खो गई. इसके बाद हम लगातार कई जगह पर भागते रहे. हालांकि, बाद में लालू यादव और नीतीश को पुलिस ने अलग अलग गिरफ्तार किया.