Election Survey: भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. यहां हर पांच साल में चुनाव होते हैं, जिनमें विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव शामिल हैं. देश के नागरिक इस चुनावी प्रकिया में हिस्सा लेते हैं. कोई भी नागरिक जो 18 साल का है वो अपना वोट डाल सकता है. इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव और अगले साल यानि 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. आखिर वोट देने से पहले वोटर्स क्या सोचते हैं, किन बातों को ध्यान में रखकर वो किसी प्रत्याशी या पार्टी के लिए वोट करते हैं, किसको वोट करना है, इस बात का फैसला वो कब कर लेता है?
इसको लेकर अगर बात की जाए तो जहां तक भारत की बात है तो यहां के वोटर्स जब वोट करने जाते हैं तो वो कई फैक्टर को लेकर उधेड़बुन में होते हैं, जिनमें जाति, धर्म, समुदाय, पैसा, भाषा और प्रत्याशी जैसे फैक्टर हैं. इसके साथ ही मीडिया रिपोर्ट्स और सर्वे भी कुछ हद तक वोटर्स के मन पर असर डालते हैं. देश में कई वोटर्स ऐसे भी होते हैं जो सोचते हैं कि किस पार्टी की सरकार बनने पर विकास होगा, महंगाई कम होगी और बेरोजगारी खत्म हो पाएगी. 2019 की एक सर्वे रिपोर्ट आई है उनमें कई पहलुओं पर बात की गई है. तो आइए जानते हैं.
क्या कहती है सर्वे रिपोर्ट?
सीएसडीएस, लोकनीति, दिल्ली के सर्वे के मुताबिक, जब लोगों से पूछा गया कि चुनाव में वोट करते समय सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे कौन से होते हैं तो 2019 के चुनाव में 13.2 प्रतिशत लोगों ने विकास के नाम पर वोट किया था. 10.5 प्रतिशत लोगों ने नौकरी की कमी और बेरोजगारी के मुद्दे पर वोट किया था. इसके बाद 3.7 प्रतिशत लोगों ने महंगाई और तेल की कीमतों में उछाल को लेकर वोट किया. 2.7 प्रतिशत लोगों ने आर्थिक स्थिति को लेकर वोट किया और 2.5 प्रतिशत लोगों ने गरीबी कम करने के लिए वोट किया था.
इस सर्वे की रिपोर्ट में पता चलता है कि वोटर्स ने विकास, बेरोजगारी और महंगाई को लेकर सबसे ज्यादा वोट किया था. हालांकि, हाल के कुछ वर्षों में वोटर्स का व्यवहार बदला है. अब वोटर्स अच्छी अर्थव्यवस्था के लिए वोट करने लगे हैं. इसके अलावा, कई इलाकों में वोटर्स को अपराधियों को अपना प्रत्याशी बनाने में भी गुरेज नहीं होता है.