Shaurya Diwas: गुरुवार, 27 अक्टूबर 2022 को भारतीय सेना (Indian Army) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) की मौजूदगी में ऐतिहासिक 'बड़गाम लैंडिंग' का एनेक्टमेंट करने जा रही है. इसी दिन 1947 को भारतीय सेना की सिख रेजीमेंट (Sikh Regiment) ने वायुसेना (Airforce) के विशेष विमान से श्रीनगर (Srinagar) में लैंड कर जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तानी सेना (Pakistan Army) और कबीलाइयों के चंगुल से बचाया था.


इसीलिए हर साल 27 अक्टूबर को भारतीय सेना 'इन्फेंट्री डे' के रूप में मनाती है. इस साल थल सेना और वायुसेना दोनों ही इस खास दिन को शौर्य-दिवस के रूप में मनाने जा रही हैं. क्योंकि गुरूवार को भारतीय वायुसेना के कश्मीर एयर बेस का स्वर्ण जयंती समारोह भी है.


75 साल पहले वाला किया जाएगा अभ्यास


भारतीय सेना की श्रीनगर स्थित 15वीं कोर यानि चिनार कोर के मुताबिक,  श्रीनगर एयर बेस पर ये एनेक्टमेंट किया जाएगा. इस दौरान वायुसेना के विमानों से भारतीय सैनिक ठीक वैसे ही लैंडिंग करेंगे जैसा कि 1947 में किया गया था. इसके बाद श्रीनगर एयर बेस को ठीक वैसे ही सुरक्षित करने का अभ्यास करेंगे जैसा 75 साल पहले किया था. क्योंकि जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के तुरंत बाद ही भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तानी सेना और कबीलाइयों के हमले से बचाने के लिए अपना ऑपरेशन शुरु कर दिया था. देश के बंटवारे और आजादी के बाद भारतीय सेना का ये पहला ऑपरेशन था. एक दिन पहले ही यानि 26 अक्टूबर 1947 को जम्मू-कश्मीर के शासक, महाराजा हरि सिंह ने भारत में विलय के लिए सत्ता हस्तांतरण संधि पर हस्ताक्षर किए थे.


सिख रेजिमेंट की बहादुरी की मिसाल


बंटवारे के वक्त श्रीनगर एयर-बेस एक छोटी सी एयर-फील्ड थे और उसे बड़गाम के नाम से जाना जाता था. आज भी श्रीनगर एयरपोर्ट राजधानी से सटे बड़गाम जिले का ही हिस्सा है. सिख रेजीमेंट की वीरता के कारण ही जम्मू कश्मीर आज भारत का अभिन्न अंग है. सिख रेजीमेंट की बहादुरी, वीरता और अदम्य साहस के कारण ही भारतीय सेना हर साल 27 अक्टूबर को इन्फेंट्री डे मनाती है. ये वही सिख‌ रेजीमेंट है जिसने बहादुरी की पराकाष्ठा को लांघते हुए 19वीं सदी में विश्वप्रसिद्ध सारागढ़ी का युद्ध लड़ा था. एक चौकी के कब्जों को लेकर हुई लड़ाई में सिख रेजीमेंट के 21 शूरवीरों ने करीब दस हजार अफगानी लड़ाकों को धूल चटाई थी. यही वजह है कि सिख रेजीमेंट का आदर्श-वाक्य है, 'निश्चय कर अपनी जीत करूं'.


इनके पराक्रम की वजह से जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा


श्रीनगर एयर-फील्ड को सुरक्षित करने के बाद बड़गाम में ही भारतीय सेना और पाकिस्तानी आक्रमणकारियों में जबरदस्त लड़ाई हुई थी. इसी बड़गाम की लड़ाई में सेना की कुमाऊं रेजीमेंट के मेजर सोमनाथ शर्मा ने पाकिस्तान के खिलाफ लड़ते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया था. उनके अदम्य साहस और शौर्य के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया था. वे आजाद भारत के पहले परमवीर चक्र विजेता थे. मेजर सोमनाथ शर्मा और उन जैसे सैकड़ों ऐसे वीर सैनिकों की बदौलत ही आज जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है.


रक्षा मंत्री से लेकर सैन्य अधिकारी तक रहेंगे मौजूद


गुरूवार को जब श्रीनगर एयरबेस पर बड़गाम लैंडिंग का एनेएक्टमेंट किया जाएगा तो थलसेना और वायुसेना दोनों का ही शक्ति-प्रदर्शन भी आयोजित किया जाएगा. इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह वीरगति को प्राप्त सैनिकों के परिवारवालों से भी खास मुलाकात करेंगे. इस दौरान जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा सहित चिनार कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल एडीएस औजला सहित वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी मौजूद रहेंगे.


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