नई दिल्लीः नए कृषि कानून के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के किसान केंद्र सरकार का विरोध कर रहे हैं. दिल्ली में चल रहे किसानों आंदोलन पर एनडीए सरकार ने संकेत दिया है कि वह पीछे हटने वाली नहीं है. वहीं अपने पिछले कार्यकाल के दौरान, एनडीए सरकार ने कड़े विरोध को देखते हुए एक विवादास्पद अध्यादेश वापस ले लिया था.
भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन करना चाहती थी सरकार
बता दें कि मई 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन (RFCTLARR) अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार में संशोधन करने के लिए एक अध्यादेश की घोषणा की थी. जो यूपीए शासन के दौरान लाया गया था और 1 जनवरी 2014 से लागू हुआ था. नए कानून ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 को प्रतिस्थापित किया था, जो की एक सदी से अधिक समय से लागू था.
विपक्ष ने जताया कड़ा विरोध
बीजेपी सरकार ने RFCTLARR संशोधन अध्यादेश के माध्यम से इस कानून मे कई बदलाव करने का प्रयास किया. जिसे व्यापक विरोध का सामना करना पड़ा था. जब सरकार ने 24 फरवरी, 2015 को लोकसभा में अध्यादेश को बदलने के लिए एक विधेयक पेश किया, तो विपक्ष ने अधिनियम में प्रस्तावित बदलाव पर अपना कड़ा विरोध जताया. वहीं वर्ष 10 मार्च 2015 को लोकसभा में विधेयक पारित कर दिया गया, लेकिन इसे राज्यसभा में पारित करने में विफल रहे.
एनडीए सरकार ने पीछे खींचे कदम
भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन (RFCTLARR) अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार में संशोधन के खिलाफ जारी गुस्से के बीच, प्रधान मंत्री मोदी ने 31 अगस्त, 2015 को प्रसारित अपने मन की बात कार्यक्रम में अध्यादेश को वापस लेने की घोषणा की थी. बीजेपी के सदस्य एस एस अहलूवालिया की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त समिति ने संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिए कई बैठकें कीं. आखिरकार, बिल 16 वीं लोकसभा के विघटन के साथ समाप्त हो गया.
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