Diwali 2021: लंबे अरसे से पटाखे दीवाली के त्योहार का हिस्सा रहे हैं लेकिन पिछले कुछ सालों प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट, अलग-अलग हाई कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सख्ती के चलते स्थिति बदली है. इस साल भी सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित किया है. कई जगह ताजी सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन ने आदेश जारी किए हैं. इस लेख में हम आप को पटाखों को लेकर देश भर की स्थिति बताने जा रहे हैं.


सबसे पहले बात सुप्रीम कोर्ट के आदेश की. 29 अक्टूबर को जस्टिस एम आर शाह और ए एस बोपन्ना ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वह पटाखों को लेकर उसके पिछले आदेशों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करवाएं. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में ही देश मे ग्रीन पटाखों का उत्पादन शुरू करने आए आदेश दिया था. कोर्ट अधिक प्रदूषण करने वाले परंपरागत पटाखों पर रोक लगा चुका है. कोर्ट ने सिर्फ ग्रीन पटाखों के उत्पादन, बिक्री और इस्तेमाल की अनुमति दी है. यह भी कहा है कि किसी शहर में प्रदूषण का स्तर एक तय मानक (AQI 200) से अधिक होने पर स्थानीय प्रशासन को ग्रीन पटाखों पर भी रोक लगानी होगी.


क्या हैं ग्रीन पटाखे


पहले चलन में रही आतिशबाज़ी में जिस सामग्री को सबसे अधिक हानिकारक माना गया था, वह है बेरियम के अलग-अलग रूप. ग्रीन पटाखों में बेरियम का इस्तेमाल नहीं होता. इससे गहरा और लंबे समय तक बना रहने वाला धुआं पैदा नहीं होता. इसके अलावा इन पटाखों में एल्युमिनियम, पोटेशियम नाइट्रेट जैसी हानिकारक सामग्री का भी बहुत कम इस्तेमाल होता है. इनका ध्वनि स्तर भी पुराने पटाखों की तुलना में काफी कम (110 से 125 डेसिबल) तक होता है.


कहां है पूरी तरह रोक


वायु प्रदूषण का स्तर पहले ही अधिक होने के चलते दिल्ली सरकार ने राज्य में हर तरह के पटाखों पर रोक लगा दी है. हरियाणा ने भीे दिल्ली-एनसीआर से लगते 14 ज़िलों में पटाखों पर पूरी तरह रोक लगा दी है. उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद, नोएडा, मेरठ जैसे ज़िलों में स्थानीय प्रशासन ने पटाखों पर पूर्ण पाबंदी लगाई है. यहां भी कारण वायु प्रदूषण का स्तर पहले से ही बढ़ा हुआ होना है. राजस्थान ने भी एनसीआर क्षेत्र में पड़ने वाले शहरों में पटाखों पर रोक लगाई है.


पश्चिम बंगाल में रोक हटी


कलकत्ता हाई कोर्ट ने 29 अक्टूबर को दिए आदेश में राज्य में हर तरह के पटाखों की बिक्री और उपयोग पर रोक लगा दी थी. हाई कोर्ट ने कहा था कि सड़क पर बिक रहे और चल रहे पटाखे में प्रतिबंधित सामग्री का प्रयोग हुआ है या नहीं, यह जानना कठिन है. इसलिए, पटाखों पर पूरा प्रतिबंध लगाना सही है. इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. 1 नवंबर को जस्टिस ए एम खानविलकर और अजय रस्तोगी की बेंच ने इस रोक को हटा दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने ग्रीन पटाखों को पूरे देश में अनुमति दी है. इससे अलग इतना सख्त आदेश देने के पीछे कोई ठोस वजह होनी चाहिए थी, जो कि हाई कोर्ट के आदेश में दिखाई नहीं देती.


देश के बाकी राज्यों की स्थिति


ओडिशा में भी राज्य सरकार ने पटाखों पर पूरी तरह रोक लगाई थी. लेकिन हाई कोर्ट के दखल के बाद अब इसे हटा लिया गया है. दीवाली की शाम 8 बजे से 10 बजे तक लोग ग्रीन पटाखे चला सकेंगे. असम में दीवाली की शाम 8 से 10 बजे और छठ की सुबह 6 से 8 बजे तक ग्रीन पटाखे चलाने की अनुमति है.


कर्नाटक ने 1 से 10 नवंबर के बीच ग्रीन पटाखों की बिक्री की इजाज़त दी है. पंजाब सरकार ने दीवाली और गुरुपर्व के दौरान सिर्फ ग्रीन पटाखे चलाने की मंजूरी के आदेश जारी किया है. छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, झारखंड जैसे राज्यों ने भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए आदेश जारी किए हैं. लगभग हर राज्य या ज़िला प्रशासन ने सिर्फ तय समय के दौरान ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल का आदेश दिया है. पुलिस को नियमों का पालन न करने वाले उत्पादकों, दुकानदारों और आम लोगों पर कार्रवाई के लिए भी कहा गया है.


यह भी पढ़ें.


UP Election 2022: कांग्रेस-आरएलडी गठबंधन पर पिक्चर साफ, प्रियंका और जयंत की मुलाकात के बाद रालोद नेता ने दिया बड़ा बयान


Malik VS Wankhede: समीर वानखेड़े पहनते हैं दस करोड़ के कपड़े, प्राइवेट आर्मी से करते हैं उगाही, पढ़ें नवाब मलिक के 10 बड़े आरोप