कोरोना महामारी के दौरान संक्रमितों के संभावित मामलों का पता लगाने के लिए आरोग्य सेतु मोबाइल एप्लिकेशन की शुरुआत की गई थी. अब केंद्र सरकार ने बुधवार को संसद में बताया कि इस ऐप के माध्यम से इकट्ठा किए गए सभी संपर्क ट्रेसिंग डेटा यानी यूजर के निजी डेटा को हटा दिया गया है. 


इस ऐप को कोरोना महामारी के पहली लहर के दौरान बनाया गया था. भारत सरकार का कहना है कि इस ऐप के माध्यम से कोरोना संक्रमित लोगों और होम क्वारंटीन पर रखे गए लोगों पर नज़र रखी जा रही थी और इसे यूजर्स की निजता को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. जबकि विपक्ष आरोप लगाता रहा कि इस ऐप के माध्यम से केंद्र सरकार लोगों की निजी जानकारी का डेटा इकट्ठा कर रही है. 


अब लोकसभा में एक लिखित जवाब में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बताया कि साल 2020 में शुरू किए गए ऐप के कॉन्टैक्ट-ट्रेसिंग फीचर को कोविड प्रोटोकॉल के प्रावधानों के तहत बंद कर दिया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि ऐप के जरिए 10 मई, 2022 तक इकट्ठा किया गया जितना भी डेटा था उसे डिलीट कर दिया गया है.


कैसे किया जा रहा है डेटा का इस्तेमाल


दरअसल 8 फरवरी को संसद में कोरोना से जुड़े एक मुद्दे पर कांग्रेस सांसद अमर सिंह ने केंद्र सरकार से पूछा कि आरोग्य सेतु ऐप के जरिए जो डेटा इकट्ठा किया गया था उसका क्या हुआ? और किन-किन लोगों के पास इसका एक्सेस है?


इस सवाल के जवाब में चंद्रशेखर ने कहा कि आरोग्य सेतु डेटा एक्सेस एंड नॉलेज शेयरिंग प्रोटोकॉल, 2020 के अनुसार इस मोबाइल ऐप के कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग फीचर को निष्क्रिय कर दिया गया है और अब तक इकट्ठा किए गए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग डेटा को हटा दिया गया है.


उन्होंने कहा, “आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत गठित राष्ट्रीय कार्यकारी समिति ने 29 मार्च 2020 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें दिक्कतों के क्षेत्रों को समझने और उनके समाधान के लिए टेक्नोलॉजी की मदद से एक ग्रुप बनाया गया था. इस ग्रुप में कई लोग शामिल थे.  


अधिकार प्राप्त समूह के एक निर्णय के मुताबिक, इसके अध्यक्ष ने आरोग्य सेतु मोबाइल एप्लिकेशन द्वारा डेटा के सुरक्षित संग्रह को सुनिश्चित करने, व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आरोग्य सेतु डेटा एक्सेस और नॉलेज शेयरिंग प्रोटोकॉल, 2020 को अधिसूचित करते हुए दिनांक 11 मई 2020 को एक आदेश जारी किया जिसमें व्यक्तिगत या गैर-व्यक्तिगत डेटा का कुशल उपयोग और शेयर करना शामिल था."


किस-किसके पास था डेटा का एक्सेस?


इसके अलावा उन्होंने बताया कि, "आरोग्य सेतु के माध्यम से एकत्र किए गए डेटा तक सुरक्षित पहुंच स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, राज्य के स्वास्थ्य विभागों, राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों और जिला सिविल सर्जनों के स्वीकृत अधिकारियों को प्रदान की गई थी."


साल 2020 में किया गया था लॉन्च


आरोग्य सेतु ऐप को साल 2020 में कोरोना महामारी के दौरान केंद्र सरकार द्वारा लॉन्च किया गया था. उस वक्त कोरोना के बढ़ रहे मामलों को देखते हुए एयरपोर्ट से लेकर रेलवे स्टेशन जैसे पब्लिक जगहों पर एंट्री के लिए लोगों के फोन में इस ऐप का होना अनिवार्य कर दिया गया था. सिर्फ केंद्र सरकार ने ही नहीं बल्कि स्विगी और जोमैटो जैसे प्लेटफार्म ने भी अपने डिलीवरी पार्टनर के फोन में इस ऐप का इंस्टॉलेशन अनिवार्य कर दिया था.


ऐसे में जो भी कस्टमर स्विगी या जोमैटो से खाना मंगवा रहे थे उन्हें इसका स्टेटस दिखाई दे रहा था. जिसके बाद तमाम संस्थाओं ने इस ऐप के जरिए इकट्ठा किए गए डेटा और रेल व हवाई यात्रा के दौरान इसकी अनिवार्यता पर सवाल उठाए थे.


सरकार के इस आदेश के खिलाफ दो मुकदमे भी हुए. हालांकि धीरे धीरे जैसे कोरोना संक्रमितों की संख्या में कमी आई और केस घटते गए वैसे ही आरोग्य सेतु ऐप को आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के साथ इंटीग्रेट कर दिया गया. 


आरोग्य सेतु को लेकर क्या चिंताएं थीं?


पिछले तीन साल में जबसे इस ऐप को बनाया गया है तबसे इसे लेकर बहुत कुछ कहा गया. लेकिन जब साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों और पूर्व खुफिया अधिकारियों ने लाखों भारतीयों से जुड़े डेटा उल्लंघन की संभावना के बारे में बात की, तो भारत सरकार के अधिकारियों ने इन चिंताओं को खारिज कर दिया था. सरकार ने दावा किया था कि डेटा को एन्क्रिप्ट किया गया था. हालांकि यह साफ नहीं था कि अज्ञात बनाने के लिए कौन से प्रोटोकॉल का क्या इस्तेमाल किया जा रहा था.


अब आरोग्य सेतु ऐप का क्या होगा?


नेशनल हेल्थ अथॉरिटी ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन से आरोग्य सेतु को जोड़ने का ऐलान किया था. जिसके माध्यम से यूजर अपना 14 अंकों का आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट नंबर जनरेट कर सकेंगे. इसमें टेस्टिंग लैब, हेल्थ एडवाइजरी, हेल्थ स्टेटस शेयर करने की सुविधा जैसे फीचर उपलब्ध हैं.