नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने बीते बुधवार को नवनीत कालरा के रेस्टोरेंट पर छापा मारकर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बरामद किए थे. लेकिन 5 दिन बीत जाने के बाद भी नवनीत कालरा से पुलिस पूछताछ तक नहीं कर पाई है. सूत्रों के मुताबिक, नवनीत कालरा शनिवार शाम तक छतरपुर के अपने फॉर्म हाउस पर ही मौजूद था. शनिवार रात जिस समय क्राइम ब्रांच ने इस फार्म हाउस पर छापा मारा उससे कुछ ही घंटों पहले नवनीत कालरा वहां से अपने परिवार के साथ निकला था. ऐसे में कहीं न कहीं दिल्ली पुलिस भी सवालों के कटघरे में खड़ी होती है कि आखिरकार पुलिस ने नवनीत कालरा पर शिकंजा कसने के लिए 3 दिन का समय क्यों लगा दिया?
जिसके बाद अब पुलिस एलओसी खोल रही है तो अलग-अलग जगहों पर छापेमारी कर रही है. लेकिन पुलिस के हाथ नवनीत कालरा अभी तक नहीं आया है. दिल्ली पुलिस का दावा था कि ये सभी ओक्सीजन कंसंट्रेटर ब्लैकमार्केटिंग कर कई गुना दामो पर बेचे जा रहे थे. पुलिस के दावों पर खड़े हुए सवाल.
दिल्ली पुलिस का दावा था कि ये सभी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर ब्लैकमार्केटिंग कर कई गुना दामो पर बेचे जा रहे थे. हालांकि इस मामले में अब दिल्ली पुलिस के दावों पर भी सवाल खड़े होने लगे है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक खान मार्किट से बरामद ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मैट्रिक्स सेलुलर सर्विस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के थे.
मैट्रिक्स सेल्यूलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के वकील समुद्र सारंग ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताया यह कंपनी पिछले 1 साल में करीब 7800 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर इंपोर्ट कर चुकी है. दिल्ली पुलिस ने जो कंसंट्रेटर छतरपुर के इनके रजिस्टर्ड ऑफिस और खान मार्केट के नेगे जू से बरामद किए उनकी संख्या 419 है. और यह सभी कंसंट्रेटर मैट्रिक्स कंपनी के ही है.समुद्र सारंग ने बताया कि सभी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर इंपोर्ट किए गए और इनकी जीएसटी, इंपोर्ट ड्यूटी से लेकर सब कुछ पे किया गया था. अगर किसी कंसंट्रेटर को लीगल तरीके से पूरी पेमेंट करके मंगवाया गया है तो उसकी ब्लैक मार्केटिंग कैसे हो सकती है?
समुद्र सारंगी का दावा है कि इन 419 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में से 320 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की ऑनलाइन पोर्टल के जरिए बुकिंग हो चुकी थी. मैट्रिक्स कंपनी जो भी पेमेंट लेती है वह ऑनलाइन ही ली जाती है. कैश पेमेंट किसी कस्टमर से नहीं लिया गया. समुद्र सारंग का कहना है कि छतरपुर मैं इनके रजिस्टर्ड ऑफिस पर पेंडेमिक के चलते हैं काफी भीड़ इकट्ठा होने लगी थी. जिसके चलते हैं वहां के एंप्लॉय को भी कोविड-19 का खतरा हो गया था. इसी के चलते खान मार्केट के नेगे जू रेस्टोरेंट्स को पिकअप प्वाइंट बनाया गया था. जिससे लोगों को सहूलियत हो और वह अपनी बुकिंग रिसिप्ट और पहचान पत्र दिखाकर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की डिलीवरी ले सके.
समुद्र सारंग का यह भी कहना है की ऑक्सीजन कंसंट्रेटर एसेंशियल कमोडिटीज में नहीं आते. ऐसे में प्राइस को लेकर सरकार की तरफ से किसी तरह की कैपिंग नहीं है. इसलिए कंसंट्रेटर को कितने दाम में बेचना है यह कंपनी खुद तय करती है. लेकिन समुद्र सारंग ने यह भी दावा किया कि सभी कंसंट्रेटर अलग-अलग क्वालिटी के और क्षमता के थे. इसीलिए उनके प्राइस अलग-अलग थे. समुद्र सारंग का यह भी कहना है कि अगर आप दूसरी कंपनी के पोर्टल चेक करेंगे तो आपको पता चलेगा कि हम सबसे कम दामों में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बेच रहे थे.
समुद्र सारंग का दावा है कि मैट्रिक्स कंपनी ने अपने 90 परसेंट से ज्यादा स्टॉक 50000 से कम दाम में बेचा है. इस लिए मोरल ग्राउंड पर भी हम गलत नहीं है. उन्होंने यह भी बताया कि मैट्रिक्स कंपनी के मालिक नवनीत कालरा के दोस्त हैं और इसी दोस्ती के लिहाज से सिर्फ नेगे जू रेस्टोरेंट को पिकअप प्वाइंट बनाया गया था.
मैट्रिक्स कंपनी के वकील समुद्र सारंग में यह भी बताया कि टाउन हॉल और खान चाचा रेस्टोरेंट में मिलने वाले ऑक्सीजन कंसंट्रेटर इनके नहीं थे और ना ही नवनीत कालरा कहां है इन्हें इस बात की जानकारी है. फिलहाल मैट्रिक्स सेलुलर कंपनी की पेटीशन पर मामले को लेकर हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है. लेकिन इस चैन की अहम कड़ी नवनीत कालरा की गिरफ्तारी से गई अब पूरी सच्चाई सामने आ सकती है.