(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कोयला, 2जी, कॉमनवेल्थ समेत UPA के शासनकाल के 15 घोटालों का जिक्र, मोदी सरकार के संसद में पेश श्वेत पत्र में क्या? 10 पॉइंट्स में समझें
White Paper: श्वेत पत्र पर शुक्रवार (9 फरवरी) को लोकसभा में चर्चा होने की संभावना है. इसको लेकर बहस होने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जवाब दे सकती हैं.
White Paper: केंद्र की मोदी सरकार ने संसद में गुरुवार (8 फरवरी) को श्वेत पत्र पेश किया. इसमें कहा गया है कि कांग्रेस की नेतृत्व वाली यूपीए सरकार (2004 से 2014) ने दस साल में भारतीय अर्थव्यवस्था को पंगु बना दिया था.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के संसद में पेश किए गए श्वेत पत्र में यूपीए सरकार के दौरान अंधाधुंध राजस्व व्यय, बजट के अतिरिक्त उधारी और बैंकों के एनपीए के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभावों का जिक्र किया गया है. इसके अलावा इसमें कहा गया है कि यूपीए के कार्य़काल में 15 घोटाले हुए. श्वेत पत्र की दस बड़ी बातें-
1- श्वेत पत्र में कहा गया है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने यूपीए सरकार से विरासत में मिली चुनौतियों पर पिछले 10 वर्षों में सफलतापूर्वक काबू पाया है. इसके साथ ही भारत को उच्च वृद्धि के रास्ते पर लाने के लिए कड़े फैसले भी किए हैं.
2. कुल 59 पेज वाले ‘भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र’ के मुताबिक, जब 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार ने सत्ता संभाली तो अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में थी और सार्वजनिक वित्त खराब स्थिति में था. इसके साथ ही आर्थिक कुप्रबंधन, वित्तीय अनुशासनहीनता और व्यापक भ्रष्टाचार का भी बोलबाला था.
3. श्वेत पत्र में कहा गया है कि यूपीए शासन के 10 वर्षों में किए गए कई गलत फैसलों के कारण 2014 में भारतीय अर्थव्यवस्था दिशाहीन स्थिति में थी. ऐसे में मोदी सरकार पर चुनौतियों से निपटने और अर्थव्यवस्था में गति एवं आशावाद को बहाल करने की जिम्मेदारी आ गई. यह एक संकटपूर्ण स्थिति थी. अर्थव्यवस्था को चरण-दर-चरण सुधारने और शासन प्रणालियों को व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी थी.
4. श्वेत पत्र के मुताबिक, यूपीए सरकार आर्थिक गतिविधियों को सुचारू रूप देने में बुरी तरह विफल रही. यूपीए सरकार ने बाधाएं भी खड़ी की जिससे अर्थव्यवस्था पीछे रह गई.
इस दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि 2014 में एनडीए सरकार को विरासत में बेहद कमजोर अर्थव्यवस्था मिली थी. चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल के बावजूद मोदी सरकार के सुधारों से लगभग एक दशक में भारत 'पांच कमजोर' अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी से निकलकर दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी में शामिल हो गया.
5. श्वेत पत्र में इस पर खेद जताया गया है कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद किसी भी तरह से उच्च आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए यूपीए सरकार ने व्यापक आर्थिक नींव को गंभीर रूप से कमजोर कर दिया. बैंकिंग संकट यूपीए सरकार की सबसे बदनाम विरासतों में एक थी.
6. दस्तावेज में यूपीए सरकार के दौरान कोयला ब्लॉक आवंटन, 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी, राष्ट्रमंडल खेल एवं सारदा चिट फंड सहित 15 घोटालों को सूचीबद्ध करते हुए कहा गया है कि भ्रष्टाचार के इन मामलों ने अर्थव्यवस्था में लोगों के विश्वास को हिला दिया था. इसके मुताबिक रक्षा तैयारियों को भी नीतिगत पंगुता का खामियाजा उठाना पड़ा. कमजोर नेतृत्व, इरादे और कार्रवाई की कमी से रक्षा तैयारियां पिछड़ गईं.
7. श्वेत पत्र में कहा गया है कि 2013 में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट से 1991 के भुगतान संतुलन संकट के एक बार फिर पैदा होने की आशंका पैदा हो गई थी. विदेशी मुद्रा भंडार केवल छह महीने के आयात के लिए ही पर्याप्त था.
8. श्वेत पत्र में कहा गया कि मोदी सरकार ने व्यापक आर्थिक बेहतरी के लिए कठोर निर्णय लेने की जरूरत को समझा. इसके मुताबिक, ‘‘हमारी सरकार ने अपनी पिछली सरकार के विपरीत एक मजबूत ढांचा बनाने के साथ ही अर्थव्यवस्था की नींव में निवेश किया.’’
9. श्वेत पत्र में कहा गया, ‘‘पिछले दस वर्षों के कामकाज को देखते हुए हम विनम्रता और संतुष्टि से यह कह सकते हैं कि हमने पिछली सरकार की छोड़ी गईं चुनौतियों पर सफलतापूर्वक काबू पा लिया है. ’’
10. श्वेत पत्र में मौजूदा दौर को 'कर्तव्य काल' बताते हुए कहा गया कि अभी मीलों चलना है और वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है. बता दें कि श्वेत पत्र पर शुक्रवार (9 फरवरी) को लोकसभा में बहस होने की संभावना है. चार घंटे की बहस के बाद वित्त मंत्री के जवाब देने की उम्मीद है.
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