WHO Alert On Indian Syrup: बुधवार (5 अक्टूबर) को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत की एक दवा कंपनी को लेकर अलर्ट जारी किया है. गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत के बाद डब्ल्यूएचओ का कहना है की हिंदुस्तान में बनाई गई चार कोल्ड और कफ सिरप बच्चों के लिए जानलेवा हो सकता है. इन सिरप को भारत की मेडिन फार्मासुटिकल्स लिमिटेड कंपनी (Medin Pharmaceuticals Limited) ने बनाया है. इसके बाद कंपनी के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है.


डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इन 66 बच्चों की मौतों में एक ही पैटर्न सामने आया था. इन सभी की उम्र 5 साल से कम थी, जो कि कफ सिरप लेने के 3 से 5 दिन बाद बीमार हो रहे थे. इसके साथ ही बताया कि चारों कफ सिरप में डाइथिलीन ग्लायकोल (Diethylene glycol) और इथिलीन ग्लायकोल (Ethylene glycol) की मात्रा तय मात्रा से ज्यादा पाई गई है. इस पर कंपनी से एबीपी न्यूज ने उनके पीतमपुरा वाले ऑफिस जाकर उनका पक्ष जानने की कोशिशि की, लेकिन ऑफिस बंद था.


'जांच होनी चाहिए है'
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के नेशनल प्रेसिडेंट डॉ सहजानंद प्रसाद सिंह ने कहा पूरे मामले की जांच होनी चाहिए है. जब भी किसी दूसरे देश में भारत दवाई भेजता तो उसकी चेकिंग होती तो ऐसे में यह  भी देखना होगा कफ सिरप के साथ कोई दूसरी मेडिसिन तो नहीं भेजी गई. डब्ल्यूएचओ को सारे सबूत देने चाहिए ताकि निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके, क्योंकि यह देश की प्रतिष्ठा का सवाल है. वहीं इस मामले में भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया(DGCI) के सूत्रों का कहना है कि जांच की जा रही है.


भारत में क्यों नहीं बिक रहा सिरप?
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बताया कि कंपनी की ओर से उत्पादित चार तरह के कफ सिरप के सैंपल्स को कोलकाता स्थिति केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (CDAL) में भेजा गया है. उन्होंने कहा, ‘‘नमूनों को डीसीजीआई और हरियाणा के फूड एवं ड्रग्स एडमिनेस्ट्रेशन विभाग ने एकत्र किया और इसे कोलकता स्थित सीडीएल को भेजा गया है.’’ साथ ही बताया कि केंद्र के औषध विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) से बात की है. कंपनी द्वारा उत्पादित कफ सिरप को निर्यात के लिए मंजूरी दी गई थी और यह देश में बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं है. जो भी कदम उठाना होगा, उसे सीडीएल की रिपोर्ट के बाद उठाया जायेगा.


सरकार का क्या कहना है?



  • हिंदुस्तान की कोई भी दवाई, जब किसी दूसरे देश में जाती है तो वो इसे बाजार में बेचने या इस्तेमाल करने से पहले उसकी टेस्टिंग करता है. ऐसे में जब गाम्बिया में चेक हुआ तो पता क्यों नहीं लगा.

  • डब्ल्यूएचओ बताए कि क्या चारों ड्रग बिना परीक्षण के ही प्रयोग कर ली गई.

  • मेडिन फार्मासुटिकल्स के Drugs के सैंपल की देश की सेंट्रल और रीजनल ड्रग लैब में टेस्टिंग होगी, जिसका रिजल्ट अगले दो दिनों में आ जाएगा.

  • स्वास्थ्य मंत्रालय यह भी देख रहा है कि क्या चारों कोल्ड और कफ सिरप गाम्बिया गए या फिर कहीं  दूसरी जगह भेज दिए गए.

  •  मेडिन फार्मासुटिकल्स को दवाई निर्यात करने के लिए मैन्युफैक्चरर करने का लाइसेंस ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत हरियाणा ड्रग कंट्रोलर ने दिया था.

  • एसओपी के मुताबकि किसी देश की दवाई के बारे डब्ल्यूएचओ कोई भी गाइडलाइन या एडवाइजरी उसके सब्सटेंडर्ड होने को लेकर जारी करता तो उसे मेडिसिन के लेबल की फोटो उस देश के रेगुलेटर के साथ शेयर करनी होती है. 6 दिन होने के बाद भी डीजीसीआई को डब्ल्यूएचओ ने पैकेजिंग के लेबल की फोटो और बैच की जानकारी नहीं दी है.  डीजीसीआई ने इसको लेकर चार दिन पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन के जेनेवा ऑफिस को ईमेल भी भेजा था.


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