भारत में एक मई से ही कोरोना वैक्सीनेशन के तीसरे चरण की शुरुआत हो गई. केन्द्र सरकार की तरफ से 18 से 44 साल के लोगों को वैक्सीन के योग्य मानकर उन्हें टीका लगाने की इजाजत दे दी गई. लेकिन विडंबना ये है कि अभी तक कई राज्यों में यह शुरू नहीं किया जा सका है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कोरोना वैक्सीन की देश में भारी किल्लत. लेकिन, भारत में कोरोना वैक्सीन की इस कमी को दूर करने के लिए अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से प्रमाणित वैक्सीन निर्माता विदेशी कंपनियों को जल्द से जल्द लाइसेंस देने का फैसला किया गया है.
विदेशी वैक्सीन निर्माता कंपनियों को जल्द आयात लाइसेंस
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉक्टर वी.के. पॉल ने गुरुवार को नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, कोई भी वैक्सीन जिसे डब्ल्यूएचओ और एफडीओ ने प्रमाणित किया है उसे भारत में लाई जा सकती है. एक से दो दिन के भीतर आयात लाइसेंस जारी कर दिया जाएगा. वीके पॉल ने बताया कि अभी कोई भी लाइसेंस लंबित नहीं है.
अगले हफ्ते से मिलने लगेगी स्पुतनिक
वीके पॉल ने आगे बताया कि नई पॉलिसी बनाई गई क्योंकि राज्यों को फ्लेक्सिबिलिटी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि सभी को वैक्सीन मिलेगी. इस डेटा के बाद किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि स्पुतनिक वैक्सीन रूस से आ गई है और यह अगले हफ्ते से मिलनी शुरू हो जाएगी.
इससे पहले, स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फेंस के दौरान कहा कि देश में 24 राज्य शासित प्रदेश ऐसे हैं जहां 15% से ज्यादा पॉजिटिविटी रेट है. 5-15% पॉजिटिविटी रेट 8 में है। 5% से कम पॉजिटिविटी रेट 4 में है. उन्होंने कहा कि देश में 12 राज्य ऐसे हैं जहां 1 लाख से भी ज्यादा सक्रिय मामले हैं. 8 राज्यों में 50,000 से 1 लाख के बीच सक्रिय मामलों की संख्या बनी हुई है. 16 राज्य ऐसे हैं जहां 50,000 से भी कम सक्रिय मामलों की संख्या बनी हुई है.
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