WHO ने पहले कहा- बिना लक्षण वाले मरीज़ों से कोरोना के फैलने का खतरा बेहद कम, अब दी सफाई
असिम्पटोमैटिक मरीज़ वो होता है, जिसमें कोरोना वायरस का कोई लक्षण दिखाई नहीं देता और न ही लक्षण विकसित होता है.
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नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अपने उस बयान से पलट गया है, जिसमें उसने कहा था कि बिना लक्षण वाले मरीज़ों से कोरोना वायरस का फैलाव बहुत दुर्लभ है. अब संगठन ने साफ किया है कि वो बयान गलतफहमी में दिया गया था. उन्होंने कहा कि हो सकता है कोरोना वायरस के 40 फीसदी मामले असिम्पटोमैटिक यानी बिना लक्षण वाले मरीज़ों से फैले हों.
WHO की उभरती हुई बीमारियों और ज़ूनोसिस इकाई की अध्यक्ष डॉ मारिया वेन करखोवा ने सोमवार को प्रेस वार्ता में एक सवाल के जवाब में कहा था कि बिना लक्षण वाले मरीज़ों से कोरोना वायरस का फैलाव बहुत दुर्लभ है. हालांकि मंगलवार को उन्होंने साफ किया कि उनका बयान दो या तीन स्टडीज़ पर आधारित था और विश्व में बिना लक्षण वाले मरीज़ों से वायरस का ट्रांसमीशन दुर्लभ है ऐसा कहना एक गलतफहमी थी.
उन्होंने कहा, "मैं केवल एक सवाल का जवाब दे रही थी. वो WHO की पॉलिसी का बयान करना नहीं था या वैसा कुछ और." उन्होंने ये भी कहा कि मैंने 'बहुत दुर्लभ' वाक्य का इस्तेमाल किया. मुझे लगता है कि बिना लक्षण वाले मरीज़ों के वैश्विक ट्रांसमीशन को बेहद दुर्लभ बताना गलतफहमी थी. उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि मैं स्टडी के एक छोटे से हिस्से की बात कर रही थी.
आपको बता दें कि असिम्पटोमैटिक मरीज़ वो होता है, जिसमें कोरोना वायरस का कोई लक्षण दिखाई नहीं देता और न ही लक्षण विकसित होता है. ऐसे में मरीज़ उन लोगों के लिए मुसीबत बनते हैं, जिनके अंदर बीमारी से लड़ने की क्षमता कम होती है.
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