Covid-19 Death in India: दुनियाभर में कोरोना महामारी से जंग अभी जारी है. इस बीच भारत में कोरोना महामारी से हुई मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (world health organization) की रिपोर्ट काफी चिंताजनक है. हालांकि इसे केंद्र की मोदी सरकार ने खारिज कर दिया है.
WHO ने अपनी रिपोर्ट में भारत के अंदर कोविड-19 महामारी के चलते करीब 47 लाख लोगों की मौत का अनुमान लगाया है. रिपोर्ट में यह कहा गया कि जनवरी 2020 से लेकर दिसंबर 2021 के बीच करीब 47 लाख लोगों की जान चली गई. ये आंकड़े आधिकारिक तौर पर दिए गए डेटा से करीब 10 गुणा ज्यादा हैं.
47 लाख मौत का मतलब कई शहरों का मौत के मुंह में समा जाना?
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में कोरोनो से 47 लाख मौत के आंकड़ों का जिक्र किया गया है. 47 लाख मौत का मतलब पटना और भोपाल जैसे शहरों का एक साथ मौत के मुंह में समा जाना है. देश में अप्रैल 2022 तक कुल 773 जिले हैं. कई जिलों की आबादी काफी कम है ऐसे में 47 लाख मौत का मतलब कई जिलों का एक साथ तबाह होना भी है. वही कई छोटे राज्य है जिसकी आबादी काफी कम है.
ऐसे में इस कोरोना से मौत का एक मतलब ये भी है कई छोटे राज्यों का एक साथ खत्म हो जाना है. 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक पटना (Urban) की आबादी 2,046,652 है. वही भोपाल की आाबादी 2,368,145 है. दोनों की आबादी को मिला दें तो ये आंकड़ा 47 लाख से कम ही है. patna.nic.in/about के आंकड़ों के मुताबिक पूरे पटना जिले की आबादी 5838465 है जिसमें पटना ग्रामीण की आबादी करीब 3323875 है जबकि पटना (शहरी) की आबादी 2,514590 है.
47 लाख मौत के मायने?
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की आबादी 2011 की जनगणना के मुताबिक करीब 4,588,455 है. यानी कोरोनो से 47 लाख मौत का मतलब लखनऊ का लगभग साफ हो जाना है. वही गोरखपुर जिले की आबादी भी 4,436,275 है. यूपी के आजमगढ़ की आबादी करीब 4,616,509 है. वही साल 2011 की जनगणना के मुताबिक बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की आबादी 4,778,610 है. 47 लाख मौत का मतलब ग्वालियर और जबलपुर जैसे शहरों का विनाश होना भी है. ग्वालियर की आबादी 2,030,543 है जबकि जबलपुर की आबादी 2,460,714 है. दोनों की आबादी मिला दे तो ये आंकड़ा 45 लाख के आसपास है.
ये भी पढ़ें:
47 लाख मौत का मतलब कई छोटे राज्यों का विनाश!
देश में कई राज्य ऐसे हैं जिसकी आबादी काफी कम है. कोरोनो से 47 लाख लोगों की मौत का मतलब कम आबादी वाले कई राज्यों का बर्बाद हो जाना है. गोवा सरकार की वेबसाइट के मुताबिक राज्य की जनसंख्या करीब 18 लाख से कुछ अधिक है. केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ की जनसंख्या 1,055,450 है. साल 2011 के आंकड़ों के मुताबिक त्रिपुरा की जनसंख्या 3,673,917 है. पुडुचेरी की जनसंख्या 1,247,953 है. मणिपुर की जनसंख्या 2,570,390 है. नगालैंड की जनसंख्या 1,978,502 है. वही मिजोरम की जनसंख्या करीब 1,097,206 है. अरुणाचल प्रदेश की जनसंख्या करीब 1,383,727 है. ऐसे में कहा जा सकता है कि 47 लाख की मौत का मतलब है त्रिपुरा और पुडुचेरी का खत्म हो जाना. 47 लाख की मौत का ये भी मतलब है कि मणिपुर और नगालैंड का मौत के मुंह में समा जाना.
47 लाख मौत मतलब कई जिलों का एक साथ खत्म होना?
देश में कई ऐसे जिले हैं जिनकी आबादी काफी कम है. ऐसे में 47 लाख की मौत का एक मतलब ये भी है कि एक साथ कई जिलों का तबाह होना. 10 लाख से कम आबादी वाले कुछ जिले इस प्रकार हैं-
- चित्रकूट- 990,626
- महोबा 876,055
- पोरबंदर 586,062
- तापी 806,489
- शेखपुरा 634,927
- नॉर्थ गोवा 817,761
- साउथ गोवा 639,962
- दतिया 786,375
- हरदा 570,302
- सिंधुदुर्ग 848,868
- नीलगिरी 735,071
- चमोली 391,114
47 लाख मौत का मतलब दुबई और शारजहां का तबाह होना?
भारत में कोरोना से 47 लाख की मौत का मतलब दुबई और शारजहां जैसे आधुनिक शहर का काल के गाल में समा जाना भी है. 2017 के आंकड़ों के मुताबिक दुबई की जनसंख्या करीब 29 लाख के आसपास है. वही शारजहां की जनसंख्या 1,274,749 के करीब है. ऐसे में दोनों शहरों की आबादी को जोड़ते हैं तो ये आंकड़ा 41 लाख के आसपास पहुंचती है. यानी कि भारत में कोरोना से हुई मौत को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी 47 लाख के आंकड़े से भी कम.
ये भी पढ़ें: