Republic Day 2022: बंगाल, केरल और तमिलनाडु की झांकियों को शामिल नहीं किए जाने पर केंद्र सरकार का बयान, जानें क्या कहा?
गणतंत्र दिवस (Republic Day 2022) परेड 2022 के लिए राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से कुल 56 प्रस्ताव प्राप्त हुए थे, इन 56 में से 21 प्रस्तावों को शॉर्टलिस्ट किया गया है.
पश्चिम बंगाल (West Bengal), तमिलनाडु (Tamil Nadu) और केरल (Kerala) राज्य की झांकी को गणतंत्र दिवस (Republic Day) की परेड में जगह नहीं मिलने की वजह से इन राज्यों ने पत्र लिख कर आपत्ती जताई है. यह स्पष्ट रूप से क्षेत्रीय गौरव से जुड़ा हुआ है और केंद्र सरकार द्वारा राज्य के लोगों के अपमान के रूप में पेश किया गया है. ये हर वर्ष कहा जाता है. हालांकि, ये एक गलत मिसाल है जिसे राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र और राज्यों के बीच एक उद्देश्य प्रक्रिया के परिणाम को फ्लैशपॉइंट के रूप में दिखाया जाता है. यह देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाता है.
आपको बताते चलें कि झांकी पर फैसला मोदी सरकार नहीं करती है. विभिन्न राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से प्राप्त झांकी प्रस्तावों का मूल्यांकन कला, संस्कृति, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला, नृत्यकला आदि के क्षेत्र में प्रतिष्ठित लोगों की विशेषज्ञ समिति की बैठकों की एक श्रृंखला में किया जाता है. विशेषज्ञ समिति अपनी सिफारिशें करने से पहले विषय, अवधारणा, डिजाइन और दृश्य प्रभाव के आधार प्रस्तावों की जांच करती है.
सूत्रों के मुताबिक़ समय की कमी के कारण, केवल कुछ प्रस्तावों को ही स्वीकार किया जा सकता है. उदाहरण के लिए गणतंत्र दिवस परेड 2022 के लिए राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से कुल 56 प्रस्ताव प्राप्त हुए थे, इन 56 में से 21 प्रस्तावों को शॉर्टलिस्ट किया गया है.
समय की कमी को देखते हुए स्वीकृत प्रस्तावों की तुलना में अधिक प्रस्तावों को अस्वीकार करना स्वाभाविक है. केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के प्रस्तावों को विषय विशेषज्ञ समिति ने उचित प्रक्रिया और उचित विचार-विमर्श के बाद खारिज कर दिया था.
हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि केरल के झांकी प्रस्तावों को 2018 और 2021 में उसी मोदी सरकार के तहत उसी प्रक्रिया और प्रणाली के माध्यम से स्वीकार किया गया था. इसी तरह तमिलनाडु की झांकियों के प्रस्तावों को 2016, 2017, 2019, 2020 और 2021 में उसी मोदी सरकार के तहत उसी प्रक्रिया और प्रणाली के माध्यम से स्वीकार किया गया था.
यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि 2016, 2017, 2019 और 2021 में उसी मोदी सरकार के तहत पश्चिम बंगाल के झांकी प्रस्तावों को उसी प्रक्रिया और प्रणाली के माध्यम से स्वीकार किया गया था. सीपीडब्ल्यूडी की इस वर्ष की झांकी में नेताजी सुभाषचंद्र बोस शामिल हैं ऐसे में उनके अपमान का मामला भी नहीं बनता है.
हालांकि, इस मसले पर राजनीति हर साल होती है और जिस राज्य की झांकी को गणतंत्र दिवस की परेड में जगह नहीं मिलती है वो इसे राज्य के गौरव के साथ जोड़ कर कर केंद्र सरकार पर आरोप लगा देता हैं.
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