Rajeev Kumar Close To Mamta Banerjee: लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में बड़ा एक्शन लिया है. केंद्रीय चुनाव आयोग ने बंगाल के पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कुमार को पद से हटा दिया है. चुनाव आयोग की ओर से इसे लेकर पश्चिम बंगाल सरकार के मुख्य सचिव को आदेश जारी किया गया है.
चुनाव आयोग की ओर से जारी पत्र में साफ कर दिया गया है कि राजीव कुमार को पुलिस महानिदेशक और आईजी के पद से हटाकर गैर चुनावी ड्यूटी में लगाया जाएगा. कुमार पश्चिम बंगाल के उन अधिकारियों में से एक रहे हैं, जो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बेहद खास माने जाते हैं. चलिए हम आपको उनके बारे में बताते हैं कि आखिर क्यों उन्हें ममता बनर्जी का करीबी अधिकारी माना जाता है और उनका कैसा रिकॉर्ड रहा है. उनके लिए वर्ष 2019 में ममता बनर्जी ने CBI के खिलाफ धरना भी दिया था.
राजीव कुमार रह चुके हैं कोलकाता पुलिस के पूर्व कमिश्नर
राजीव कुमार कोलकाता पुलिस के कमिश्नर रह चुके हैं और पिछले साल दिसंबर महीने के आखिरी हफ्ते में पश्चिम बंगाल सरकार ने उन्हें राज्य का नया पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) नियुक्त किया है. 57 वर्षीय राजीव कुमार उसके पहले सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग में प्रधान सचिव थे.
पूर्व सीएम बुद्धदेव भट्टाचार्य के भी थे खास
राजीव कुमार को आज के जमाने में सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का करीबी तो माना ही जाता है. वह पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के भी पसंदीदा अधिकारी रहे हैं. भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1989 बैच के अधिकारी कुमार के पास आईआईटी रूड़की से इंजीनियरिंग की डिग्री है.
माओवादियों के खिलाफ एक्शन से बटोरीं सुर्खियां
वह कोलकाता पुलिस के कमिश्नर से पहले संयुक्त आयुक्त (STF) और महानिदेशक (सीआईडी) जैसे प्रमुख पदों पर काम कर चुके हैं. उनके नेतृत्व में, कोलकाता पुलिस के एसटीएफ की माओवादियों के खिलाफ उसके अभियानों के लिए काफी चर्चा हुई थी. उन्होंने लालगढ़ आंदोलन के एक महत्वपूर्ण व्यक्ति छत्रधर महतो को पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
ममता बनर्जी का फोन टैप करने का भी लग चुका है आरोप
भले ही आज के जमाने में ममता के बेहद खास है लेकिन राज्य में 2011 में ममता बनर्जी की सरकार बनने से पहले तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने 2009 में उन पर गंभीर आरोप लगाए थे. तृणमूल कांग्रेस के पश्चिम बंगाल में विपक्ष में रहते हुए कोलकाता पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) प्रमुख राजीव कुमार पर तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी का फोन टैप करने का आरोप लगाया था. उत्तर प्रदेश के मूल निवासी कुमार को 2009 में एसटीएफ प्रमुख के तौर पर कार्य करते हुए टीएमसी के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव मुकुल रॉय के आरोपों का सामना करना पड़ा था. रॉय ने उन पर वाम मोर्चा सरकार के कहने पर तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी का फोन टैप करने का आरोप लगाया था.
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने ममता बनर्जी सरकार के एक्शन का किया था विरोध
वर्ष 2011 में, जब ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी वाम मोर्चे को हराकर सत्ता में आई, तो कुमार को एक कम महत्वपूर्ण पद पर स्थानांतरित करने का प्रयास किया गया, लेकिन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने इस कदम को रोकने के लिए हस्तक्षेप किया. वर्ष 2012 में, जब बिधाननगर पुलिस आयुक्तालय की स्थापना हुई, तो कुमार इसके पहले आयुक्त बने.
शारदा चिटफंड मामले में धड़ाधड़ एक्शन के बाद बने टीएमसी के खास
वर्ष 2013 में, जब शारदा चिटफंड घोटाला सामने आया और टीएमसी सरकार भारी दबाव में थी, कुमार ने शारदा समूह के अध्यक्ष सुदीप्त सेन और साझेदार देबजानी मुखर्जी को कश्मीर से गिरफ्तार कर लिया. कुमार ने विशेष जांच दल (एसआईटी) का नेतृत्व किया और सत्तारूढ़ सरकार से उनकी निकटता के चलते उनकी प्रशंसा और आलोचना दोनों हुई. नवंबर 2013 में, तब बगावती तेवर दिखा रहे टीएमसी सांसद कुणाल घोष को एसआईटी ने गिरफ्तार किया था. वह वर्तमान में पार्टी प्रवक्ता हैं.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता अब्दुल मन्नान की याचिका पर मई 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने चिटफंड घोटाले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था. कुमार को फरवरी 2016 में कोलकाता का 21वां पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया.
पहले भी पद से हटा चुका है चुनाव आयोग
वर्ष 2016 के विधानसभा चुनावों के दौरान, निर्वाचन आयोग ने उन्हें कोलकाता पुलिस कमिशनर के पद से स्थानांतरित करने का फैसला किया, लेकिन लगातार दूसरी बार सत्ता में लौटने के बाद ममता बनर्जी ने उन्हें बहाल कर दिया.
राजीव कुमार के लिए ममता ने दिया था धरना
तीन फरवरी 2019 को जब सीबीआई की टीम चिटफंड घोटाले से संबंध में पूछताछ करने के लिए कुमार के घर गई थी तो उसे रोका गया और घसीटते हुए पुलिस की गाड़ी में बैठा लिया गया था. राजीव कुमार पर चिटफंड मामले के साक्ष्य मिटाने के आरोप लगे थे. तब मुख्यमंत्री बनर्जी बीजेपी नीत केंद्र सरकार पर विपक्ष के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए धरने पर बैठ गई थीं. कुमार उस वक्त कोलकाता के पुलिस आयुक्त थे. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, शारदा मामले की जांच के संबंध में मेघालय के शिलांग में सीबीआई ने उनसे पूछताछ की थी. अब जब वह राज्य पुलिस के महानिदेशक थे तो चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें पद से हटा दिया है.
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