Who is Arvind Kejriwal: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब नीति घोटाले से जुड़े मामले में ईडी की गिरफ्त में हैं. जांच एजेंसी ने उनपर करप्शन और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े गंभीर आरोप लगाए हैं.  जिस करप्शन के खिलाफ उन्होंने अन्ना आंदोलन में जंग छेड़ी थी, उसी करप्शन में उनको ईडी ने गिरफ्तार किया है. आईए जानते हैं एक अफसर से उनके सीएम बनने तक की पूरी कहानी.  


हरियाणा के भिवानी जिले के सिवानी में 16 अगस्त, 1968 को जन्मे अरविंद केजरीवाल इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) खड़गपुर से पढ़े हैं. उन्होंने वहां से मकैनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है. वह इसके बाद इंडियन रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस) के ऑफिसर बने. उन्होंने सेवा में आने के बाद दिल्ली में इनकम टैक्स विभाग में जॉइंट कमिश्नर के रूप में काम किया.  


अन्ना हजारे के आंदोलन में एक्टिव रहे अरविंद केजरीवाल 


अरविंद केजरीवाल 2011 में समाजसेवी और एक्टिविस्ट अन्ना हजारे के आंदोलन के जरिए लाइमलाइट में आए थे. उन्होंने तब अन्ना के नेतृत्व में जन लोकपाल बिल के मुद्दे पर इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) के तहत कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के खिलाफ मुहिम छेड़ी थी. हालांकि, वह आंदोलन तब विफल रहा था मगर अरविंद केजरीवाल तब लोगों के बीच पहचान बनाने में सफल हुए. 


आम आदमी पार्टी का गठन कर सक्रिय राजनीति में आए


भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए अरविंद केजरीवाल आंदोलन के बाद सक्रिय राजनीति में आ गए थे. उन्होंने अक्टूबर 2012 में आम आदमी पार्टी (आप) का गठन किया था. अरविंद केजरीवाल का तब दावा था कि वह इसके जरिए दिल्ली की जनता को "साफ-सुथरी सरकार" मुहैया कराएंगे. यह वह दौर था जब वह लोगों के बीच एक 'सियासी विकल्प' के रूप में उभरकर आ रहे थे.   


शीला दीक्षित को हराकर दिल्ली CM बने अरविंद केजरीवाल


अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आप ने साल 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव को जीतते हुए कुल 70 विधानसभा सीटों में 28 पर जीत हासिल की थी. उन्होंने तब नई दिल्ली सीट पर तीन की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित को 25 हजार से अधिक वोटों से मात दी थी. बीजेपी के सामने तब कांग्रेस के समर्थन से आप की सरकार बनी थी और 28 दिसंबर, 2013 को अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे. 


नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से लड़ चुके हैं चुनाव


सिर पर अन्ना टोपी, आंखों पर चश्मा, सफेद कमीज, ढीली पतलून, चमड़े की चप्पल और सरल-सहज अंदाज की वजह से अरविंद केजरीवाल सीएम बनने के बाद भी दिल्ली और देश के लोगों के बीच 'राजनीति में एक आम व्यक्ति' वाली छवि बनाने में कामयाब रहे. सीएम बनने के 49 दिन बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. फिर सियासी सपनों का विस्तार करते हुए उन्होंने यूपी के वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा था, लेकिन वह 2.7 लाख वोटों के अंतर से हार गए थे. 


अरविंद केजरीवाल और आप का इन चीजों पर था जोर


अरविंद केजरीवाल 2015 में वह फिर मुख्यमंत्री बने. उनके नेतृत्व वाली आप ने तब दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में 67 पर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी. सरकार में आने के बाद उन्होंने सबसे ज्यादा सब्सिडी, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि जैसे बुनियादी मुद्दों पर जोर दिया. यह वह समय था, जब लोग अरविंद केजरीवाल को आम आदमी का पोस्टरबॉय बताने लगे थे.