मंदसौर: मध्य प्रदेश में किसानों के आंदोलन के पीछे कौन है. अब तक यही बताया गया कि इन किसानों का कोई नेता नहीं है और ये नेतृत्व विहीन आंदोलन है. सरकार को बात करने के लिए कोई चेहरा नहीं मिल रहा, लेकिन अब पता चला है कि आंदोलन के पीछे आरएसएस के किसान संगठन से निकाले गए किसान नेता शिव कुमार शर्मा.
इस आंदोलन को चला रहे हैं तीन संगठन- शिव कुमार
शिव कुमार शर्मा को लोग कक्काजी के नाम से जानते हैं. कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश में किसानों के हिंसक आंदोलन के पीछे का इन्ही का चेहरा है. पुलिस फायरिंग का विरोध जताने दाहिने हाथ पर काली पट्टी बांधकर शिव कुमार शर्मा सामने आए थे. इनका कहना है, ‘’कुल मिलाकर हम तीन संगठन इस आंदोलन को चला रहे हैं. बीकेयू, आम किसान यूनियन और राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ. शिव कुमार शर्मा इन तीन संगठनों में से राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के अध्यक्ष हैं.
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कौन हैं शिव कुमार शर्मा?
जबलपुर विश्वविद्यालय से लॉ ग्रेजुएट शिव कुमार शर्मा ने जेडीयू नेता शरद यादव के साथ छात्र राजनीति शुरू की थी. बाद में शिव कुमार शर्मा सरकारी नौकरी करने लगे और मध्य प्रदेश सरकार में विधिक सलाहकार बन गए. कुछ सालों बाद सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर शिवकुमार शर्मा किसान आंदोलन से जुड़ गए.
आरएसएस कार्यकर्ता शिव कुमार शर्मा संघ के द्वितीय वर्ष प्रशिक्षण प्राप्त हैं. आरएसएस से जुड़े भारतीय किसान संघ के महामंत्री और फिर अध्यक्ष बने.
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साल 2010 में सरकार के निशाने पर आए शिव कुमार
साल 2010 में भारतीय किसान संघ के हजारों किसानों ने भोपाल में चक्का जाम कर दिया था. सीएम आवास के महज 100 मीटर दूर बिजली-पानी की मांग को लेकर किसान धरने पर बैठे थे.
वो तारीख 20 दिसंबर 2010 थी. भोपाल में लोगों की नींद खुली तो शहर को किसानों ने घेर रखा था. आरएसएस के संगठन में रहते हुए बीजेपी की शिवराज सरकार के खिलाफ उस महाधरने के पीछे भी शिवकुमार शर्मा ही थे. तब से शिवकुमार शर्मा संघ और सरकार के निशाने पर आ गए.
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2012 बरेली कांड
मध्य प्रदेश में किसानों पर पहली बार गोली 2012 में रायसेन जिले के बरेली में चली थी. इस दौरान एक किसान की मौत हुई थी. उस आंदोलन के पीछे भी शिवकुमार शर्मा ही थे.
इस कांड के बाद आरएसएस ने शिवकुमार शर्मा को निष्कासित कर दिया था. शिवकुमार शर्मा को दो महीने की जेल भी हुई. जब बाहर निकले तो अपना नया संगठन राष्ट्रीय मजदूर किसान संघ खड़ा किया. मध्य प्रदेश में आंदोलन के पीछे यही संगठन है जिसने आंदोलन की रणनीति बनाई और अब ये हिंसक रूप ले चुका है और इस आंदोलन से निपटना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है.