Who is Chunav Raja: केरल की वायनाड लोकसभा सीट से कांग्रेस की प्रियंका गांधी के खिलाफ कुल 21 लोगों ने नामांकन दर्ज किया है. आम तौर पर लोग चुनाव में इसलिए खड़े होते हैं कि वह जीत कर क्षेत्र के लिए बेहतर काम कर सकें, लेकिन इन 21 लोगों में एक चेहरा ऐसा है, जो चुनाव राजा के नाम से मशहूर है और वह चुनाव में सिर्फ हारने के लिए ही खड़े होते हैं. वह दो या चार बार नहीं बल्कि 245 बार चुनाव के लिए नामांकन कर चुके हैं और अब तक लाखों रुपए की जमानत जब्त करा चुके हैं.
चुनाव राजा ने एक-दो बार नहीं बल्कि 245 बार चुनाव लड़ा है. ऐसा करने वाले वह पहले शख्स नहीं हैं. उनकी तरह और भी लोग है, जिन्होंने 100-200 बार चुनाव लड़ा है. तमिलनाडु के 65 साल के केके पद्मराजन का कहना है कि वह जब तक जिंदा रहेंगे तब तक चुनाव में पर्चा भरते रहेंगे और लोगों से कहेंगे कि उनको वोट न दें. पद्मराजन ने पंचायत, नगर पालिका, विधानसभा यहां तक की लोकसभा चुनाव भी लड़ा है. वह जब भी नामांकन का पर्चा भरने जाते हैं तो खूब बैंड बाजा लेकर जाते हैं. भले ही इसके लिए कितने ही पैसे लग जाए. पद्मराजन का नाम तो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे ज्यादा चुनाव लड़ने और हारने वाले प्रत्याशी के तौर पर दर्ज हुआ है.
तीन पूर्व पीएम के खिलाफ भी लड़ा चुनाव
हैरानी की बात यह है कि पद्मराजन भारत के तीन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई, मनमोहन सिंह और पीवी नरसिम्हा राव के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं. उनका दावा है कि उन्होंने अब तक 80 लाख रुपए से भी ज्यादा की जमानत राशि पानी में डुबो दी है क्योंकि हर चुनाव में उनकी जमानत जब्त हो जाती है. साल 2019 में उन्होंने राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा. 2024 के लोकसभा चुनाव में केरल की त्रिशूर और तमिलनाडु के धर्मपुरी से चुनाव लड़ा.
जयललिता और हेमा मालिनी के खिलाफ भी लड़ा चुनाव
चुनाव राजा ने करुणानिधि, जयललिता, वाईएसआर रेड्डी, एके एंटनी, हेमा मालिनी और विजयकांत के खिलाफ भी चुनाव लड़ा है और हार गए हैं. चुनाव में हारने की प्रक्रिया 1988 से शुरू की. उन्होंने 1988 में पहला चुनाव गृह नगर मेट्टूर से लड़ा था. अपने किसी भी चुनाव में उन्होंने कभी भी प्रचार नहीं किया क्योंकि वह असफल उम्मीदवार का टैग कायम रखना चाहते हैं. वह टायर मरम्मत की दुकान चलाते हैं. चुनाव राजा ने छह बार राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा है, छह बार उप-राष्ट्रपति पद का, 32 बार लोकसभा, 50 बार राज्यसभा और 73 बार संसदीय चुनाव लड़ा है.
पहले पिता हारे अब बेटे ने मोर्चा संभाला
चुनाव राजा ऐसा करने वाले पहले व्यक्ति नहीं है. ठीक इसी तरह इंदौर के परमानंद तोलानी भी हैं, जो पिछले 30 सालों में न जाने कितने ही चुनाव हार चुके हैं. उनके पिता भी यही करते थे. परमानंद तोलानी का कहना है कि उनके बाद उनकी दो बेटियां भी चुनाव लड़ेंगी और यह उस समय तक चलेगा जब तक कोई जीत नहीं जाता.
हर बार चुनाव लड़ने से पहले बदलते हैं नाम
पुणे के प्रकाश कोड़ेकर जब भी चुनाव लड़ने जाते हैं, वह नाम बदल लेते हैं. कोड़ेकर हर चुनाव से पहले कानूनी तौर पर नाम बदलवाते हैं और उसके बाद पर्चा भर देते है. ठीक इसी तरह हैदराबाद में रविंद्र उपुल्ला भी हैं, जो कहते हैं कि अगर वह चुनाव जीतेंगे तो हर 100 दिन बाद लाई डिटेक्टर टेस्ट करेंगे.