कौन हैं दानिश अंसारी जो बने हैं योगी 2.0 मंत्रिमंडल के इकलौते मुस्लिम चेहरे
32 साल के दानिश अंसारी बलिया के रहने वाले हैं. इन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई अपने गांव अपायल के प्राइमरी स्कूल से की थी. दानिश के पिता का नाम समीउल्लाह अंसारी है और वो भी बलिया में ही रहते हैं.
योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान 52 मंत्रियों में से इकलौते मुस्लिम मंत्री हैं दानिश अंसारी. दानिश को पूर्व मुस्लिम चेहरे मोहसिन रजा की जगह इस बार मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. दानिश इस मंत्रिमंडल के सबसे युवा चेहरों में से एक हैं. आखिर कौन है वो दानिश अंसारी जिनको योगी 2.0 की कैबिनेट में एक मुस्लिम चेहरे के तौर पर जगह मिली है. वो भी तब जब दानिश न तो विधानसभा के सदस्य हैं और न ही विधान परिषद के यानी बिना विधायक बने ही दानिश को योगी सरकार में मंत्री बनाया दिया गया है.
32 साल के दानिश अंसारी बलिया के रहने वाले हैं. इन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई अपने गांव अपायल के प्राइमरी स्कूल से की थी. दानिश के पिता का नाम समीउल्लाह अंसारी है और वो भी बलिया में ही रहते हैं. बलिया से बारहवीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद दानिश अंसारी ने साल 2006 में लखनऊ यूनिवर्सिटी से बी कॉम किया. लखनऊ विश्वविद्यालय से ही इन्होंने मास्टर ऑफ क्वालिटी मैनेजमेंट और मॉस्टर ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई की. इसी दौरान दानिश अंसारी साल 2011 में बीजेपी के छात्र संगठन एबीवीपी के साथ जुड़ गए और वहीं से उनका बीजेपी और आरएसएस से जुड़ाव शुरू हो गया.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी एबीवीपी से जुड़ने के साथ ही दानिश मुस्लिम युवकों के बीच बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के विचारों का प्रचार प्रसार करने लगे. दानिश ने मुस्लिम युवाओं के बीच संघ की विचारधारा को फैलाने के लिए काम किया और यहीं से उनकी पहचान बनती चली गई. साल 2017 में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद दानिश अंसारी साल 2018 में फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी के सदस्य के तौर पर जुड़े इसके बाद उन्हें उर्दू भाषा समिति का सदस्य बना दिया गया. ये एक तरह से दर्जा प्राप्त मंत्री का पद होता है. यूपी चुनावों से कुछ महीने पहले ही दानिश को अक्टूबर 2021 में अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश महामंत्री पद की जिम्मेदारी मिल गयी.
दानिश अंसारी समुदाय से आते हैं. यूपी में अंसारी मुस्लिमों की तादाद काफी अच्छी मानी जाती है. अंसारी समुदाय एक तरह से मुस्लिम समाज में पिछड़े वर्ग के तौर पर देखा जाता है. उत्तर प्रदेश की सियासत में इस तबके की भागीदारी हमेशा से ही काफी कम रही है. इसके विपरीत मुस्लिम समाज के तहत आने वाली अगड़ी जातियां जिसमें शेख, पठान, सैय्यद, मुस्लिम राजपूत और मुस्लिम त्यागी यूपी की राजनीति में हावी रहे हैं. वहीं दानिश अंसारी से पहले मंत्री रहे मोहसिन रजा शिया मुस्लिम हैं और वो मुस्लिमों की अगड़ी जाति से आते हैं. ऐसे में अंसारी समाज से आने वाले दानिश को मंत्री बनाना भाजपा का बड़ा सियासी दांव भी माना जा सकता है. इसके ज़रिये भाजपा मुसलमानों के पिछड़े तबके को बीजेपी के साथ जोड़ने की कोशिश में जुट गई है.