नई दिल्ली: 16 साल जिस उम्र में दुनिया का कोई भी बच्चा स्कूल जाता है, मॉल जाता है, नए नए दोस्त बनाता है या फिर अपने भविष्य के सुखद सपने देखता है, उसी 16 साल की उम्र में स्वीडन की एक लड़की क्रांति का नया इतिहास लिख रही है. इस बच्ची का नाम ग्रेटा थन्बर्ग है, ग्रेटा कल से ही पूरी दुनिया में छाई हुई है. दरअसल कल ग्रेटा मे दुनिया के सबसे बड़े मंच से महाशक्तियों को पर्यावरण बचाने की चुनौती देते हुए पूछा कि हमारी धरती को आर्थिक विकास के नाम पर बर्बाद करने की आपकी हिम्मत कैसे हुई ? संयुक्त राष्ट्र के मंच पर दिए ग्रेटा के इस भाषण की तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है.
आंखों में आंसू लिए 16 साल की ग्रेटा ने जब तर्कों के साथ अपनी बात रखी तो हर कोई सिर्फ खामोशी से उसकी बात सुनता रहा. ग्रेटा ने अपने और दुनिया भर के युवाओं के मुस्तबिल का सवाल उठाते हुए दुनिया भर के तमाम दिग्गज नेताओं की आंख में आंख डालकर कहा- How Dare You ? यानी आपकी हिम्मत कैसे हुई. जलवायु परिवर्तन के सम्मेलन में ग्रेटा ने कहा कि जिस वक्त मुझे अपने स्कूल में होना चाहिए था मैं यहां मौजूद हूं. उसने नेताओं को चेताते हुए कहा कि आपके खाली शब्दों ने मेरे सपने और बचपन छीन लिया.
क्या है दुनियाभर में तहलका मचाने वाली ग्रेटा थनबर्ग की कहानी?
ग्रेटा थनबर्ग स्वीडन की रहने वाली हैं, 2015 में ग्रेटा ने पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्वीडन की संसद के बाहर पोस्टर लेकर बैठना शुरू किया. वो अकेली ही यहां बैठी रहती थीं. लेकिन अब तीन साल के भीतर उनका ये आंदोलन पूरी दुनिया में फैल चुका है, जिसमें लाखों स्कूली बच्चे जुड़ गए हैं. ग्रेटा के इस आंदोलन का नाम Fridays For Future है. मार्च में पूरी दुनिया में 15 लाख से ज्यादा बच्चे अपने क्लासरूम छोड़कर ग्रेटा के इस आंदोलन का हिस्सा बने.
आंदोलन के शुरुआत में माता-पिता ने भी नहीं दिया साथ
ग्रेटा का ये आंदोलन अब पूरी दुनिया में फैल चुका है, 20 सितंबर को ब्रिटेन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, पोलैंड और पेरू जैसे 150 देशों में ये आंदोलन हुआ. ग्रेटा के आंदोलन की शुरुआत में उनका साथ किसी ने नहीं दिया. वो अकेले ही स्वीडिश संसद के बाहर बैठी रहती थीं. यहां तक कि उनके माता पिता ने भी उनका साथ नहीं दिया लेकिन धीरे धीरे अब पूरी दुनिया जागरूक हो गई है.
पर्यावरण को बचाने के लिए हवाई जहाज से यात्रा नहीं करतीं
आपको जानकर हैरानी होगी कि ग्रेटा पर्यावरण के प्रति इतनी जागरूक हैं कि वो हवाई जहाज से सफर नहीं करतीं क्योंकि उससे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन होता है. न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भी वो पानी के जहाज से गईं. ग्रेटा वीगन हैं, यानी शाकाहारी तो हैं ही इसके साथ ही दूध से बने उत्पाद भी नहीं खाती हैं.
ग्रेटा की जिद ने उनके माता-पिता को बदल दिया
ग्रेटा की मां मलेना आर्नमैन स्वीडन की बहुत मशहूर ओपेरा सिंगर हैं, अपनी बेटी की वजह से उनकी मां ने भी हवाई जहाज से यात्रा करनी बंद कर दी है. जिसका असर उनके करियर पर भी हुआ है. उनकी मां ने दुनिया में अपनी परफॉर्मेंस देना बंद कर दिया है. उसके पिता भी बेटी के लिए पूरी तरह से शाकाहारी हो गए हैं क्योंकि मांसाहार में कार्बन उत्सर्जन ज्यादा होता है. ग्रेटा के खुद के घर में सिर्फ सौर ऊर्जा से बिजली आती है. उनका परिवार खुद की सब्जी उगाता है. परिवार इलेक्ट्रिक कार का इस्तेमाल करता है वो भी तब जब जरूरत हो.
आठ साल की उम्र में पहली बार क्लाईमेट चेंज के बारे में पता चला
ग्रेटा को क्लाईमेट चेंज के बारे में पहली बार तब पता चला जब वो 8 साल की थीं. वो क्लाईमेट चेंज के प्रभावों को सुनकर बहुत ज्यादा दुखी हुईं. इसके बाद उन्हें लोगों को जागरूक करने का जूनून आया. ग्रेटा ने क्लाइमेट चेंज पर रिसर्च की, खूब पढ़ा. उन्होंने पर्यावरण विज्ञान की पढ़ाई की और आज दुनिया के बड़े बड़े मंचों पर वो पर्यावरण बचाने का संदेश देती हैं.
संयुक्त राष्ट्र के मंच से क्या बोलीं ग्रेटा?
दुनिया भर के तमाम दिग्गज नेताओं की मौजूदगी में ग्रेटा ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से कहा, ''आप हमें निराश कर रहे हैं. लेकिन अब युवा पीढ़ी ने आपके विश्वासघात को समझना शुरू कर दिया है. भविष्य की सभी पीढ़ियों की निगाहें आप पर हैं. अगर आप अब भी हमें निराश करते हैं, तो मैं कहूंगी - हम आपको कभी माफ नहीं करेंगे. हम आपको इससे बचकर निकलने नहीं देंगे. यहां पर अभी के अभी हम सीमा निर्धारित करते हैं. दुनिया जाग रही है और बदलाव आ रहा है, फिर चाहे आपको ये पसंद हो या नहीं.''