Group Captain Shubhanshu Shukla: भारत अपने पहले इंसानी स्पेस मिशन यानी गगनयान के तहत चार एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेजने वाला है. इन चार गगनयात्रियों में ग्रुप कैप्टन शुभांशू शुक्ला भी शामिल हैं, जो गगनयान मिशन से पहले इंटरनेशनल स्पेस सेंटर (आईएसएस) की उड़ान भरने वाले हैं. भारत-अमेरिका के ज्वाइंट Axiom-4 मिशन के लिए शुक्ला को प्राइम एस्ट्रोनॉट के तौर पर चुना गया है. इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) ने शुक्रवार (2 अगस्त) को इसकी जानकारी दी. 


भारतीय स्पेस एजेंसी ने बताया कि जहां ग्रुप कैप्टन शुभांशू शुक्ला मुख्य एस्ट्रोनॉट होंगे तो वहीं ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर को मिशन के लिए बैकअप एस्ट्रोनॉट के तौर पर चुना गया है. हालांकि, ISS के बाद शुक्ला और नायर गगनयान मिशन के तहत 2025 में अंतरिक्ष में जाने वाले हैं. गगनयान मिशन के तहत चार एस्ट्रोनॉट्स को चुना गया है, जिसमें शुक्ला और नायर के अलावा भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन अजित कृष्णन और अंगद प्रताप भी शामिल हैं. 


कौन हैं शुभांशू शुक्ला? 


शुभांशू शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर, 1985 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था. उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी से ट्रेनिंग ली है. वह वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में 17 जून, 2006 को शामिल हुए. शुभांशू फाइटर कॉम्बैट लीडर और टेस्ट पायलट हैं. उनके पास विमान उड़ाने का 2000 घंटे का अनुभव है. वह सुखोई-30एमकेआई, मिग-21, मिग-29, एन-32, डोर्नियर, हॉक और जगुआर जैसे खतरनाक विमानों को उड़ा चुके हैं. 


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शुभांशू को कारगिल युद्ध के किस्से सुनकर वायुसेना में जाने के लिए प्रेरणा मिली. 1999 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय वह सिर्फ 14 साल के थे. मगर जब उन्होंने इस युद्ध के किस्से सुने तो वह इस कदर प्रभावित हुए है कि उन्होंने फैसला किया कि वह बड़े होकर सेना में शामिल होंगे. 39 साल के शुभांशू शुक्ला सबसे युवा शख्स हैं, जिन्हें एस्ट्रोनॉट नामित किया गया है. 


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, शुभांशू ने जानकिपुरम की डेंटिस्ट के साथ शादी की है. दोनों का एक चार साल का बेटा भी है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि शुभांशू अपने परिवार के पहले ऐसे शख्स हैं, जो फोर्स में नौकरी कर रहे हैं. शुभांशू का एस्ट्रोनॉट बनने का सफर 2018-19 में शुरू हुआ, जब उन्हें गगनयान मिशन के लिए चुना गया. कोरोना महामारी के दौर में उन्होंने पूरा समय रूस में ट्रेनिंग करते हुए बिताया. 


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