Who Is Karoli Baba: किसान नेता से कोयला निगम का चेयरमैन और अब करौली बाबा, क्या है कानपुर के संतोष सिंह भदौरिया की कहानी?
Karoli Baba Kanpur: बाबा के पेशे में आने से पहले संतोष सिंह भदौरिया किसान नेता हुआ करते थे और देश के दिग्गज किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के साथ काम करते थे.
Karoli Baba Santosh Bhadoria: आजकल उत्तर प्रदेश के बड़े शहर कानपुर के नए बाबा चर्चा के केंद्र में आ गए हैं. बाबा का 'धार्मिक' नाम है करौली बाबा, लेकिन इनका असली नाम संतोष सिंह भदौरिया है. करोली बाबा उर्फ संतोष सिंह भदौरिया पर आरोप है कि उनके चेलों ने नोएडा के डॉक्टर पर हमला कर दिया. हमले में डॉक्टर बुरी तरह से घायल हो गए हैं.
बताया जा रहा है कि डॉक्टर ने कथित तौर पर कहा था कि 'बाबा का चमत्कार हम पर नहीं हुआ.' हालांकि करोली बाबा ने एक वीडियो जारी करके सफाई दी है. डॉक्टर पर हमला करने के आरोप में बाबा और उनके चेलों पर एफआईआर दर्ज हो गई है. आइए जानते हैं कि करोली बाबा उर्फ संतोष सिंह भदौरिया कौन हैं?
महेंद्र टिकैत के साथ किसान आंदोलनों में भाग लिया
बाबा संतोष सिंह भदौरिया मूल रूप से यूपी के उन्नाव जिले के बारह सगवर के रहने वाले हैं. बाबा के पेशे में आने से पहले वो किसान नेता हुआ करते थे और देश के दिग्गज किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के साथ काम किया करते थे. संतोष सिंह ने महेंद्र सिंह टिकैत के साथ कई किसान आंदोलनों में बढ़-चढ़कर कर भाग लिया. उसी समय कानपुर में किसान यूनियन बड़े नेता संतराम सिंह की हत्या हो गई. इसके बाद महेंद्र सिंह टिकैत ने संतोष सिंह भदौरिया को कानपुर के सरसोल क्षेत्र की देखरेख करने के लिए बागडोर सौंप दी.
एबीपी न्यूज के करौली बाबा से सवाल
हालांकि, एबीपी न्यूज ने करौली बाबा उनके आश्राम जाकर बात की. जब बाबा से सवाल किया गया कि आपने इतना बड़ा आश्राम कैसे बनवा लिया? इस पर करौली बाबा ने कहा कि "मैंने ये आश्राम अपनी कमाई से बनाया है, सरकार को नंबर एक में इनकम टैक्स देता हूं. साल में 10 करोड़ का टैक्स देता हूं. कागज देखिए और इनकम टैक्स वालों को साथ में बुलाइए."
करौली बाबा ने दावा किया कि मां कामाख्या के मंदिर में लोग हवन करके अपने आप ठीक होते हैं. इसमें कोई कुछ नहीं करता. लोग खुद आते हैं और खुद ही हवन करके ठीक हो जाते हैं.
पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल से करीबी
इसी समय किसान यूनियन ने बड़ा प्रदर्शन किया और प्रदर्शन के दौरान किसान नेता संतोष सिंह की पुलिस से भिड़ंत हो गई. पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया. यूपी पुलिस ने उन पर गुंडा एक्ट के साथ में गैंगस्टर लगा दिया. जेल जाने के बाद संतोष सिंह भदौरिया एका-एक किसानों के बीच प्रसिद्ध हो गए.
इसी के बाद उनकी किस्मत बदलती चली गई. पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल से उनकी नजदीकियां बढ़ने के बाद संतोष सिंह भदौरिया को कोयला निगम का चेयरमैन बना दिया गया. बाद में सवाल उठाने के बाद उनको निगम से हटा दिया गया. इसी के बाद भदौरिया का उदय हुआ और उन्होंने 'करौली आश्रम' की स्थापना की.
किसान नेता संतोष सिंह भदौरिया अब बाबा बनकर प्रवचन करने लगे. धीरे-धीरे उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ने लगी और वो मजबूत होने लगे. उनके आश्रम में जड़ी-बूटियों से इलाज करने का दावा किया जाता है. आश्राम में करौली सरकार राधा रमण मिश्र और कामाख्या माता का मंदिर है. कानपुर और उसके आसपास के लोग संतोष सिंह भदौरिया को करौली बाबा के नाम से जानते हैं.