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नरेंद्र मोदी के आंख और कान, 'सुपर सीएम' जैसे नामों से बुलाए जाने वाला ये ब्‍यूरोक्रेट कौन है?

कुनियिल कैलाशनाथन 1979 बैच के गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. गुजरात में उन्होंने अपने 45 साल के कार्यकाल में अलग-अलग विभागों में काम किया. वह गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी भी रह चुके हैं.

गुजरात के पूर्व आईएएस अधिकारी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे भरोसेमंद अफसर कुनियिल कैलाशनाथन ने शनिवार (29 जून, 2024) को रिटायरमेंट ले लिया. मुख्यमंत्री के चीफ सेक्रेटरी के तौर पर उनका कार्यकाल समाप्त हो गया है और इसके साथ ही उन्होंने वोलेंट्री रिटायरमेंट (VRS) ले लिया. गुजरात में वह नरेंद्र मोदी के सबसे भरोसेमंद अधिकारी हैं और इसलिए ऐसी चर्चा है कि अब उन्हें गवर्नर, लेफ्टिनेंट गवर्नर या प्रधानमंत्री कर्यालय में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है.

कैलाशनाथन 45 सालों से गुजरात में अलग-अलग पदों पर काम कर चुके हैं. नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में कैलाशनाथन को कई बड़े प्रोजेक्ट्स की जिम्मेदारी दी गई, जिसके लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों की भी तारीफ हुई. पीएम मोदी की महत्वकांक्षी परियोजनाओं, GIFT City, नर्मदा और गांधी आश्रम में भी उन्होंने काम किया. साल 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी गुजरात में वह उनके भरोसेमंद अधिकारी बने रहे और अक्सर कैलाशनाथन को सुपरसीएम भी कहा जाता था.

1979 बैच के गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी हैं कुलियिन कैलाशनाथन
कुनियिल कैलाशनाथन केरल से हैं और मद्रास यूनिवर्सिटी से उन्होंने रसायन विज्ञान में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया है. वह 1979 बैच के गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. सबसे पहले उनकी पोस्टिंग सुरेंद्रनगर जिले में हुई. इसके बाद उन्हें गुजरात के अलग-अलग विभागों में बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां दी गईं. एक आईएएस अधिकारी ने बताया कि ग्रामीण विकास, गुजरात मैरीटाइम बोर्ड, नर्मदा बोर्ड और शहरी विकास जैसे विभागों में उन्होंने काम किया. गुजरात मैरिटाइम बोर्ड की BOOT (Build Own Operate Transfer) पॉलिसी उन्हीं के कार्यकाल में बनी थी. 1994 से 1995 में वह गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी भी रहे.

गुजरात में मोदी सरकार की महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए काम कर चुके हैं कैलाशनाथन
साल 1999 से 2001 में कैलाशनाथन ने अहमदाबाद म्युनिसिपल कमीश्नर की जिम्मेदारी निभाई और रस्का प्रोजेक्ट जैसी परियोजना से पूरी सिटी के लिए जलापूर्ति की व्यवस्था की. इसके लिए उनकी काफी सराहना भी की गई. रास्का प्रोजेक्ट इमरजेंसी वॉटर सप्लाई है, जिसके तहत 43 किमी लंबी पाइपलाइन के जरिए पानी के संकट से जूझ रहे कई इलाकों में वॉटर सप्लाई की गई.

मोदी सरकार में मिली सीएम ऑफिस में नियुक्ति
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार साल 2001 में नरेंद्र मोदी पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने और 2006 में कुलियिन कैलाशनाथन की सीएम ऑफिस में नियुक्ति कर दी गई. 18 सालों से सीएम ऑफिस में ही काम कर रहे थे. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद विजय रुपाणी और भूपेंद्र पटेल के के कार्यकाल में भी कैलाशनाथन का कद कम नहीं हुआ. कुनियिल कैलाशनाथन को साल 2013 में मुख्यमंत्री का एडिशनल चीफ सेक्रेटरी बनाया गया और राज्य में मोदी सरकार में कैलाशनाथन के लिए चीफ प्रींसिपल सेक्रेटरी का पद बनाया गया था. इसके बाद 11 साल तक वह इसी पद पर रहे और कई बार उन्हें एक्सटेंशन भी दिया गया.

कई अहम फैसलों में रहते थे शामिल
एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि मोदी सरकार और दूसरे मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में भी कैलाशनाथन कई अहम फैसलों का हिस्सा रहे. उन्होंने कहा कि कैलाशनाथन को अक्सर चीफ सेक्रेटरी से ज्यादा पावरफुल देखा गया. उन्होंने कहा कि आईएएस-आईपीएस अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अहम फैसलों से लेकर उन मामलों में भी वह शामिल होते थे, जो उनके अंतर्गत नहीं आते थे. 

अधिकारी ने बताया कि केके खुद को स्थिति और चीफ सेक्रेटरी के अनुसार मोल्ड कर लेते थे. उन्होंने कहा कि अगर मुख्य सचिव सक्रिय नहीं होते थे तो कैलाशनाथन चीजों को लेकर एक्टिव हो जाते थे और उन पर काम करना शुरू कर देते थे. वहीं, अगर मुख्य सचिव सक्रित होते थे तो केके बैकसीट पर आ जाते थे. जैसी स्थिति होती थी उसके अनुसार वह कार्य करते थे. 

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