नई दिल्ली: मर्यादा पुरुषोत्तम राम करोड़ों लोगों के आस्था के केंद्र में हैं. राम लोगों के विश्वास हैं, उनकी शक्ति हैं. पथ प्रदर्शक हैं, इंसानियत का रास्ता दिखाने वाले किरदार हैं. राम मर्यादा का पैग़ाम हैं. राम को सभी अलग-अलग रूपों में स्वीकार करते हैं और उनकी पूजा करते हैं. राम में आस्था रखने वाले करोड़ों लोगों का मानना है कि राम का नाम मात्र लेने से मन को शांती मिलती है. हजारों लाखों लोगों का आस्था राम नाम में है. राम का अर्थ है ‘प्रकाश’ है. ‘रा’ का अर्थ होता है आभा (कांति) और ‘म’ का अर्थ है मैं, इस तरह राम का अर्थ मेरे भीतर का प्रकाश हुआ.
कौन हैं राम
भगवान राम हिन्दू धर्म के पूज्यनीय देवता हैं. राम अयोध्या के राजा दशरथ के चार पूत्रों में सबसे बड़े पूत्र थे. उन्होंने रानी कौशल्या के कोख से जन्म लिया था. राम की पत्नी का नाम सीता है और इनके तीन भाई हुए- लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न. राम को मानने वालों में न सिर्फ हिन्दू बल्कि मुसलमान और अन्य दूसरे धर्मों के लोग भी शामिल हैं. राम में आस्था रखने वाले लोग राम के अलग-अलग रूपों को कायल हैं. कोई राम को सत्य के रूप में स्वीकार करता है तो कोई मर्यादा के रूप में स्वीरकार करता है तो वहीं कोई सर्वशक्तिमान बताता है.
राम में मुस्लिमों की भी आस्था है
वैसे तो भगवान राम हिन्दुओं के देवता हैं. करोड़ों हिन्दुओं की आस्था राम में हैं, लेकिन राम का नाम किसी एक मजहब तक सीमित नहीं हो सकता. राम तो सबके हैं और यही कारण है कि हिन्दुओं की तरह राम को मानने वाले मुसलमानों की भी तादाद कम नहीं है. किसी शायर ने कहा है कि
किसी भी धर्म की पुस्तक में यह कलाम नहीं
कि राम फकत हिन्दुओं के राम नहीं
निश्चित तौर पर राम सबके हैं. राम के अयोद्धा में भी सभी तरह के लोग उन्हें अपना भगवान मानते थे. राम केवट के भी हैं और सबरी के भी..राम हिन्दू के भी हैं और मुसमानों के भी. कई मुस्लिम बहुल देशों में राम आस्था का सबसे बड़ा विषय हैं. इंडोनेशिया ऐसा ही एक देश हैं. अकबर के जमाने में वाल्मीकि रामायण का फारसी में पद्यानुवाद हो चुका है. शाहजहां के समय 'रामायण फौजी' के नाम से गद्यानुवाद हो चुका है.
दरअसल राम धर्म या देश की सीमा से मुक्त हैं.. फरीद, रसखान, आलम रसलीन, हमीदुद्दीन नागौरी, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती आदि कई रचनाकारों ने राम की काव्य-पूजा की है. कवि खुसरो ने भी तुलसीदासजी से 250 वर्ष पूर्व अपनी मुकरियों में राम को नमन किया है.
सबके आदर्श हैं राम
राम ने जनमानस के सामने एक पुत्र और राजा के तौर पर आदर्श रूप प्रस्तुत किया. राम होने का मतलब है स्नेह, करुणा और सेवा का भाव होना. राम की सच्चाई और आदर्श छवी ही है कि आज हाजरों सालों बाद भी राम सबके दिल में है.
हालांकि राम को लेकर कई लोगों का यह भी मानना है कि राम केवल एक ऐतिहासिक चरित्र हैं. इस बात को लेकर बहस जारी है.
राम को क्यों कहा जाता है मर्यादा पुरुषोत्तम
'रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाय पर वचन न जाय', जो भी इस पंक्ति का मर्म समझ लेगा वह राम को मर्यादा पुरुषोत्तम खुद कहने लगेगा. राम ने कभी जीवन में मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया. माता-पिता और गुरु की आज्ञा का पालन किया. पिता के खातिर बिना किसी प्रश्न के 14 वर्ष तक राजमहल छोड़कर जंगलों में भटके. राम न राजा बनने पर खुश हुए न वन में जाने पर उदास, न उन्हें सबरी के झूठे बेर खाने में संकोच हुआ और न केवट को अपना दोस्त बनाने में..राम ने सारी जिंदगी मर्यादा का पालन किय़ा और सबके प्रिय बने रहे.
निश्चित तौर पर राम हिन्दुस्तान का गौरव हैं. मशहूर शायर अल्लामा इकबाल के शब्दों में कहे तो
है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़
अहल-ए-नज़र समझते हैं उस को इमाम-ए-हिंद