1972 में पैदा हुए वाझे महाराष्ट्र पुलिस फोर्स में कार्यरत हैं, जिन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट भी कहा जाता है. ऐसा बताया जाता है कि वे जब एक एनकाउंटर स्क्वॉड को लीड करते थे तब उन्होंने 63 क्रिमिनल्स का एनकाउंटर किया था. 1990 में वाझे ने महाराष्ट्र पुलिस फोर्स सब-इंस्पेक्टर के तौर पर जॉइन किया था, जिन्होंने कई ऐसे क्रिमिनल्स को मारा जिनके कनेक्शन छोटा राजन और दाऊद इब्राहिम गैंग से थे.
पहली पोस्टिंग्स गढ़चिरौली
1990 में फोर्स जॉइन करने के बाद वाझे कि पहली पोस्टिंग महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित इलाका यानी गढ़चिरौली में हुई थी. उसके बाद 1992 में उनका ट्रांसफर ठाणे पुलिस में हुआ, जहां पर कई बड़े मामलों को सुलझाने के बाद उनको लोग जानने लगे. इसके बाद उन्हें स्पेशल स्क्वॉयड का इंचार्ज बनाया गया और फिर क्रिमनल्स का इनकाउंटर शुरू हुआ.
सस्पेंशन और फिर से वापसी
बताया जाता है कि 3 मार्च 2004 में सचिन वाझे के साथ-साथ 14 अन्य पुलिसकर्मियों को ख्वाजा यूनुस नाम के संदिग्ध की पुलिस कस्टडी में मौत के चलते सस्पेंड किया था. ख्वाजा यूनुस 2 दिसंबर 2002 के घाटकोपर बम धमाके मामले में संदिग्ध था. इसके बाद वाझे ने महाराष्ट्र सरकार को उन्हें सेवा में वापस लेने के लिए आवेदन दिया था, जिसे सरकार ने रिजेक्ट कर दिया था. इसके बाद 30 नवंबर 2007 में वाझे ने अपना इस्तीफा दे दिया था और फिर 2008 में शिवसेना के दशहरा सम्मेलन में वाझे ने शिवसेना में प्रवेश किया था.
इसके बाद करीब 16 साल के बाद 6 जून 2020 में उन्हें सर्विस में दोबारा से ले लिया गया और फिलहाल उन्हें क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (सीआईयू) का इंचार्ज बनाया गया है. सचिन वाझे ने 26/11 के मुंबई में हुए आतंकी हमले पर ‘जिंकून हरलेली लढाई’ नाम की बुक मराठी भाषा मे लिखी थी. मुम्बई का चर्चित शीना बोरा हत्या मामला और डेविड हेडली पर भी बुक लिखी है.
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