नई दिल्ली: पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने पुलवामा आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली है. इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए हैं. यह वही आंतकी संगठन है जिसको मसूद अजहर ने बनाया और वह मसूद अजहर ही है जो भारत में कई बड़े आंतकी हमले के लिए जिम्मेदार है. पठानकोट में 2016 में आर्मी एयरबेस कैंप पर हुए आतंकी हमले में भी अजहर के आतंकी संगठन का ही हाथ था और इससे पहले 2001 में संसद पर किए गए हमले में भी मसूद अजहर के आतंकी शामिल थे.


भारत कई बार उसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने की कोशिश कर चुका है जिसमें हर बार उसके राह का रोड़ा चीन बन जाता है. मसूद अज़हर के नापाक आतंकी गतिविधियों के बावजूद, चीन ने संयुक्त राष्ट्र (UN) में JeM प्रमुख अजहर को ‘वैश्विक आतंकवादी’ घोषित करने के लिए भारत की अपील को लगातार अस्वीकार किया है.


दरअसल चीन ने पुलवामा में हुए हमले की निंदा की और चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने मीडियाकर्मियों से कहा, "हम आतंकवाद का विरोध करते हैं और किसी भी तरह के आतंक की कड़ी निंदा करते हैं.'' हालांकि इसके साथ ही चीन ने एक बार फिर भारत के इस अपील की राह में रोड़ा अटका दिया कि मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया जाए.


अजहर पर प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिश कब शुरू हुई?


जैश-ए-मोहम्मद द्वारा जब पठानकोट में वायु सेना अड्डे पर हमले की जिम्मेदारी का दावा किया गया तब भारत ने संयुक्त राष्ट्र से अपील की कि उसे वैश्विक आतंकी घोषित किया जाए. भारत ने यूएनएससी (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद) की समिति के सामने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने की मांग की.


चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से एक है और इसलिए वीटो इस्तेमाल करने की शक्ति रखता है. वह बार-बार पाकिस्तान के लिए इस मामले में हस्तक्षेप करता है. उसने पहले मार्च 2016 और फिर अक्टूबर 2016 में भारत की कोशिशों को रोक दिया.


2017 में एक बार फिर चीन ने उस प्रस्ताव को रोक दिया जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के तीन अन्य स्थायी सदस्य देशों ने (अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस) रखा था. बता दें कि मसूद अजहर को कंधार विमान अपहरण कांड के बाद अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने छोड़ दिया था.


चीन मसूद अजहर का समर्थन क्यों कर रहा है?


माना जा रहा है कि चीन और पाकिस्तान 'ऑल वेदर फ्रेंड्स' की तरह हैं. इसके साथ ही चीन भारत को एक प्रतियोगी और यहां तक ​​कि एक बड़े खतरे के रूप में भी देखता है. चीन का अजहर का समर्थन करना भारत को तकलीफ पहुंचाने और पाकिस्तान को खुश करने का एक तरीका है.


इसके अलावा चीन और पाकिस्तान कई समझौतों के साझीदार भी हैं.चीन ने पाकिस्तान के साथ हाल में ही $51 बिलियन वन रोड वन बेल्ट (OROB) योजना सहित अन्य विकास परियोजनाओं में निवेश किया है.


एक अन्य कारण यह भी है कि 1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद 1959 में तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को भारत ने शरण दी. चीन इस बात से भी खफा है. चीन का मानना है कि दलाई लामा चीन के लिए वही है जो भारत के लिए हाफिज सईद है.