Tripura Assembly Election 2023: त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार (16 फरवरी) को वोटिंग होनी है. राज्य में बीजेपी और कांग्रेस-लेफ्ट के गठबंधन के बीच सीधी लड़ाई बताई जा रही है. इन सब के बीच त्रिपुरा राजवंश के उत्तराधिकारी प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा की पार्टी टिपरी मोथा पर भी सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. प्रद्योत देबबर्मा ने वोटिंग से एक दिन पहले ही एलान किया है कि ये उनका आखिरी चुनाव होगा. अब उनको लेकर चर्चा तेज हो गई है.
प्रद्योत देबबर्मा ने मंगलवार को एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा, “इन विधानसभा चुनावों के बाद मैं राजनीति छोड़ दूंगा. राजनीतिक मंच पर ये मेरा आखिरी भाषण है और मैं इस चुनाव के बाद कभी बुबागरा (राजा) बनकर वोट नहीं मागूंगा. इससे मुझे पीड़ा हुई, लेकिन मैंने आपके लिए एक कठिन लड़ाई लड़ी है.” तो आइए जानते हैं कि कौन हैं प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा?
प्रद्योद देबबर्मा के बारे में
प्रद्योद देबबर्मा का जन्म 4 जुलाई 1978 को त्रिपुरा के राजशाही परिवार में हुआ. उनके पिता किरीट बिक्रम किशोर देबबर्मा हैं और उनका मां का नाम बिभू कुमारी देवी है. प्रद्योत ने अपना बचपन शिलॉन्ग, मेघालय और त्रिपुरा के महलों में बिताया है. उनकी पढ़ाई-लिखाई शिलॉन्ग में ही हुई थी. अगर उनके राजनीतिक सफर की बात करें तो उन्होंने इसकी शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी. उनकी मां और पिता दोनों ही कांग्रेस से सांसद रह चुके हैं. साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने त्रिपुरा की कमान उनके हाथों में सौंपी थी और वो ज्यादा दिनों तक इस पद पर नहीं रह पाए क्योंकि उन्होंने एनआरसी के मुद्दे के चलते पद से इस्तीफा दे दिया.
त्रिपुरा की ताकत प्रद्योत
प्रद्योत देबबर्मा की पार्टी टिपरा मोथा त्रिपुरा में बड़ी क्षेत्रीय राजनीतिक ताकत के रूप में उभरी है. उनकी पार्टी ने अप्रैल 2021 में हुए त्रिपुरा आदिवासी क्षेत्र में जिला परिषद के चुनाव में बीजेपी और आईपीएफटी गठबंधन को सीधे चुनौती दी थी और 28 में से 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी. आदिवासी समुदाय के बीच प्रद्योत की अच्छी पैठ है. इसके पीछे कारण ये भी है कि वो आदिवासी समुदाय के लिए टिपरालैंड को अलग राज्य बनाने की मांग कर रहे हैं.
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