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कौन हैं साध्वी ऋतंभरा, अमित शाह के बाद जिनसे मिलने वृंदावन जाएंगे रक्षा मंत्री राजनाथ? जानिए राम मंदिर से उनका नाता

Sadhvi Ritambhara: तीन दशक पहले राम मंदिर आंदोलन के समय युवा साध्वी ऋतंभरा लोगों के बीच काफी पॉपुलर थीं. हालांकि, आंदोलन के ठंडे पड़ने के साथ ही वह लोगों की नजरों से गायब हो गईं.

Sadhvi Ritambhara: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार (1 जनवरी) को मथुरा के दौरे पर रहेंगे. वह वृंदावन में होने वाले साध्वी ऋतंभरा के तीन दिवसीय षष्ठिपूर्ति महोत्सव में सम्मिलित होंगे. रक्षा मंत्री बालिकाओं के लिए बने सैनिक स्कूल के उद्घाटन कार्यक्रम में भी शामिल होंगे. राजनाथ दोपहर 12:20 बजे वृंदावन पहुंचेंगे. हालांकि, इस बीच इस बात की चर्चा हो रही है कि आखिर साध्वी ऋतंभरा कौन हैं, जिनके षष्ठिपूर्ति महोत्सव में शामिल होने रक्षा मंत्री वृंदावन जा रहे हैं.

दरअसल, साध्वी ऋतंभरा ने वृंदावन में वात्सल्य ग्राम में रविवार को अपना 60वां जन्मदिन मनाया, जिसे षष्ठिपूर्ति महोत्सव के तौर पर सेलिब्रेट किया गया. रक्षा मंत्री राजनाथ से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी उनसे मिलने के लिए पहुंचे थे. राम मंदिर आंदोलन के समय चर्चा में आईं साध्वी ऋतंभरा वृंदावन में एक आश्रम चलाती हैं, जहां अनाथ बच्चे, विधवा महिलाएं और बुजुर्ग रहते हैं. बीजेपी के शीर्ष नेताओं का उनसे मिलने पहुंचना दिखाता है कि वह अभी भी संघ परिवार से जुड़ी हैं.

कैसा रहेगा रक्षा मंत्री का कार्यक्रम? 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह साध्वी ऋतंभरा के तीन दिवसीय षष्ठिपूर्ति महोत्सव में सम्मिलित होंगे. वह बालिकाओं के लिए बने सैनिक स्कूल के उद्घाटन कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे. राजनाथ दोपहर 12:20 बजे वृंदावन पहुंचेंगे. इसके बाद दोपहर 12:35 बजे समविद गुरुकुल स्थित गर्ल्स सैनिक स्कूल का उद्घाटन करेंगे. दोपहर 12:55 बजे षष्ठिपूर्ति महोत्सव में पहुंचेंगे. दोपहर 3:15  बजे पवन हंस हेलीपैड से दिल्ली के लिए होंगे रवाना. 

कौन हैं साध्वी ऋतंभरा? 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, साध्वी ऋतंभरा का जन्म पंजाब के लुधियाना जिले में हुआ. उनका नाम निशा था, मगर महज 16 साल की उम्र में हरिद्वार के स्वामी परमानंद गिरी को अपना गुरु मानते हुए वह एक साध्वी बन गईं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े विश्व हिंदू परिषद ने 1980 के दशक में जब जन जागरण अभियान की शुरुआत की, तो साध्वी ऋतंभरा के भाषणों ने उन्हें काफी प्रसिद्ध बना दिया. जन जागरण अभियान के तहत ही राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत हुई. 

80 के दशक में बीजेपी राजनीतिक रूप से संघर्ष कर रही थी और कांग्रेस काफी मजबूत स्थिति में थी. इस वजह से बीजेपी विश्व हिंदू परिषद के अभियान को सही ढंग से मदद नहीं दे पा रही थी. ऐसे समय पर आरएसएस की महिला विंग राष्ट्रीय सेविका समिति विश्व हिंदू परिषद की मदद के लिए आगे आई, ताकि जन जागरण अभियान में उसकी मदद की जाए. साध्वी ऋतंभरा राष्ट्रीय सेविका समिति से काफी एक्टिव तौर पर जुड़ी हुई थीं. 

जन जागरण अभियान के दौरान लोगों को जागरूक करने के लिए गंगा माता भारत माता यात्रा निकाली गई. अभियान के लिए लेक्चर, कार्यकर्म और राम पूजा आयोजित होती थीं. इन कार्यक्रमों के लिए कुशल वक्ता की जरूरत थी और साध्वी ऋतंभरा ऐसे समय पर तेजी से सामने आईं. 1990-92 के दौरान, जब राम जन्मभूमि आंदोलन ने गति पकड़ी तो ऋतंभरा घर-घर में जाने जाने लगीं. हालांकि, 1992 के बाद वह लोगों की नजरों से ओझल हो गईं. 

तीन दशक से कहां थीं साध्वी ऋतंभरा? 

आरएसएस के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, 'वह कभी भी राजनीति में नहीं उतरीं, क्योंकि उन्हें इससे लगाव नहीं था. इस तरह वह संघ परिवार के उन लोगों से जुड़ी हुई थीं, जो चुनावी राजनीति से दूर रहते थे. यही वजह थी कि वह सार्वजनिक जीवन से गायब हो गईं.' उन्होंने कहा कि वह बच्चों के लिए घर चलाने लगीं और उन्होंने मुंबई में भी एक शेल्टर होम बताया. वह बाद में वृंदावन में शिफ्ट हो गईं और वास्तसल्य ग्राम चला रही हैं. 

यह भी पढ़ें: सनातन धर्म पर टिप्पणी करने वालों पर साध्वी ऋतंभरा का निशाना, राम मंदिर पर भी दिया बयान

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