कौन हैं सुखपाल सिंह खेहरा, जिनकी गिरफ्तारी के बाद आपस में भिड़ गईं AAP और कांग्रेस
सुखपाल सिंह खेहरा ने साल 2017 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ा था और जीत गए. हालांकि, 2018 में उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया और उनकी कांग्रेस में वापसी हो गई.
आठ साल पुराने मामले में पंजाब के विधायक सुखपाल सिंह खेहरा की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में आरोप-प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो गया है. खेहरा की गिरफ्तारी से कांग्रेस बेहद भड़की हुई है और आप पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगा रही है. इस पर आप सांसद सुशील गुप्ता ने कहा कि अगर खेहरा सही हैं तो कांग्रेस की सरकार में इसी मामले में उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों हुई थी.
खेहरा कांग्रेस और आप दोनों का ही हिस्सा रह चुके हैं और अब उनकी गिरफ्तारी के बाद दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर सवाल उठाने में लगी हैं. खेहरा की जिस मामले में गिरफ्तारी हुई है, वह मामला साल 2015 का है और उससे थोड़े समय पहले ही वह कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे. खेहरा का ऐसा कहना है कि जब उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी, तब आप एफआईआर को गलत बताती थी तो अब कैसे ठीक हो गई. वहीं, आप इस बात पर सवाल उठा रही है कि जब तब कांग्रेस ने खेहरा के खिलाफ कार्रवाई की थी तो अब वह सही कैसे हो गए. पहले जान लेते हैं- कौन हैं सुखपाल सिंह खेहरा, जिन्हें लेकर आप और कांग्रेस आपस में भिड़े हुए हैं-
पिता अकाली दल के दिग्गज नेता
सुखपाल सिंह खेहरा पंजाब की भुलत्थ सीट से कांग्रेस के विधायक हैं. उनका जन्म जनवरी, 1965 में हुआ था और उनके पिता सुखजिंदर सिंह खेहरा अकाली दल के दिग्गज नेता थे. सुखजिंदर पंजाब के शिक्षा मंत्री रह चुके हैं. खेहरा ने शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से पढ़ाई की और डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ से 12वीं की शिक्षा प्राप्त की.
राजनीतिक सफर
सुखपाल सिंह खेहरा तीन बार विधायक बने, दो बार कांग्रेस और एक बार आप के टिकट पर. उन्होंने 6 बार पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन तीन में ही सफलता मिली. सुखपाल सिंह खेहरा कांग्रेस से विधायक और भारतीय किसान कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. उन्होंने अपने सियासी सफर की शुरुआत पंचायत सदस्य के तौर पर की थी. 1994 में वह कपूरथला जिले के गांव रामगढ़ में पंचायत सदस्य के रूप में चुने गए थे. साल 1997 में वह कांग्रेस से जुड़े और उन्हें यूथ कांग्रेस के उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई. इसके बाद, 1999 में उनकी जिम्मेदारी बढ़ गई और पंजाब कांग्रेस कमेटी ने उन्हें संगठन का सचिव नियुक्त कर दिया. 2005 में कपूरथला जिले की कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और 2006 में कपूरथला में ही केंद्रीय सहकारी बैंक के निदेशक चुने गए.
कांग्रेस छोड़ थामा आप का हाथ
1997 और 2002 में हारने के बाद उन्होंने 2007 में एक बार फिर कांग्रेस के टिकट पर पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत गए. हालांकि, 2012 के चुनाव में वह जीत नहीं सके. 2009 और 2014 में उन्होंने पंजाब कांग्रेस के प्रवक्ता की भी जिम्मेदारी निभाई. 2014 में उन्होंने पंजाब कांग्रेस के प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया था. इसी साल उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का भी ऐलान कर दिया और आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए.
कांग्रेस में वापसी
आप में आने के बाद साल 2017 में उन्होंने पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत गए. उस दौरान, पंजाब की सत्ता में कांग्रेस काबिज थी और खेहरा विपक्ष के नेता थे. हालांकि, 2018 में उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते आप से निंलबित कर दिया गया और एक बार फिर उनकी कांग्रेस में वापसी हो गई.
किस मामले में हुई गिरफ्तारी?
मार्च, 2015 के मामले में सुखपाल सिंह खेहरा की गिरफ्तारी हुई है. यह मामला ड्रग्स से जुड़ा है, 2015 में जलालाबाद सदर थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी. एफआईआर में नौ लोगों को नामजद किया गया था और उन्हीं में से एक था गुरदेव सिंह. गुरदेव सिंह को खेहरा का करीबी माना जाता है. 31 अक्टूबर, 2017 को इस मामले में फाजिल्का कोर्ट ने सभी आरोपियों को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्स्टांसेस एक्ट (NDPS) के तहत दोषी ठहराया. पुलिस को उनके पास से 2 किलो हेरोइन, 24 सोने के बिस्कुट, देसी कट्टा और दो पाकिस्तानी सिम कार्ड मिले थे. अभियुक्तों से पूछताछ के दौरान ही सुखपाल सिंह खेहरा का नाम सामने आया था और 30 नवंबर, 2017 को उन्हें तलब किया गया. गुरदेव सिंह के साथ उनके संबंधों के बारे में पुलिस जांच कर रही थी. खेहरा ने समन को लेकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन राहत नहीं मिली. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां खेहरा के खिलाफ जारी समन के आदेश रद्द कर दिए गए.