Tapan Kumar Deka: आईपीएस अधिकारी और आतंकवाद-रोधी विशेषज्ञ तपन कुमार डेका को 30 जून, 2024 से आगे एक साल की सर्विस का एक्सटेंशन दिया गया है. नॉर्थ ईस्ट में उग्रवाद से लड़ने और इंडियन मुजाहिदीन की कमर तोड़ने में 1988 बैच के हिमाचल प्रदेश के कैडर तपन कुमार डेका ने अहम भूमिका निभाई है.
मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने अखिल भारतीय सेवा के नियम और नियमों के प्रावधानों में छूट दी. सरकार ने 1958 के एफआर 56 (डी) और नियम 16 (1ए) में छूट देते हुए डेका को 30 जून, 2024 के बाद एक साल तक और अगले आदेश आने तक के लिए अवधि बढ़ा दी है. डेका की सेवा को इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक के रूप में मंजूरी दी गई है. वर्तमान में IPS अधिकारी वाशिंगटन डीसी की आधिकारिक यात्रा पर हैं. इन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो के लिए संयुक्त निदेशक के रूप में काम किया है. खास बात ये है कि भारत में इस्लामी चरमपंथ के खिलाफ डेका पिछले 20 सालों लगातार अभियान चला रहे हैं.
इस्लामिक आतंकवाद से निपटने का है अनुभव
तपन कुमार डेका साल 1990 से नॉर्थ ईस्ट रीजन में सर्विस कर रहे हैं. उन्हें विद्रोह का विशेषज्ञ भी कहा जाता है. देश में आतंकियोंं और इस्लामिक कट्टरपंथियों से कैसे निपटा जाए, उनके पास अच्छा खासा अनुभव है. इंडियन मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी समूह के खिलाफ कई अभियान चलाए और उनको लीड भी किया. ये इंडियन मुजाहिदीन वही है, जिसने 2000 के दशक में पूरे देश में बम विस्फोटों को अंजाम दिया था और देश भर में तबाही मचाई हुई थी.
संकटमोचक का दिया गया नाम
अपने इंटेलिजेंस ब्यूरो के कार्यकाल के दौरान डेका ने मध्य भारत, जैसे छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र जेसे राज्यों में वामपंथी उग्रवादियों से भी लड़ाई लड़ी. ये उग्रवादी अब छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले तक सीमित माओवादी हैं. यही नहीं डेका ने अमेरिका में भी सेवा दी है और भारत में पाक द्वारा प्रायोजित इंडियन मुजाहिदीन ग्रुप के खात्मे में मुख्य रूप से भूमिका निभाई. डेका ने मुंबई में हुए 26/11 के आतंकी हमलों की जांच की और आतंकियों को कटघरे में खड़ा किया. जानकार हैरानी होगी की तपन कुमार डेका को संकटमोचक के रूप में जाना जाता है और कहा भी क्यों न जाए. आतंकियों के खिलाफ चलाए उनके अभियानों ने देश की सुरक्षा में खास भूमिका निभाई है.
जम्मू-कश्मीर के मामलों में रहे सलाहकार
इंटेलिजेंस ब्यूरो प्रमुख के रूप में काम संभालने से पहले उन्होंने दो दशकों से भी ज्यादा समय तक आईबी के संचालन विंग का नेतृत्व किया. डेका मूल रूप से असम के रहने वाले हैं. साल 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम के लागू होने के बाद असम में हिंसा भड़की थी, जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने डेका को स्थिति संभालने के लिए असम भेजा था. यही नहीं वे जम्मू-कश्मीर से संबंधित कई मामलों पर सरकार के एडवाइजर भी रहे हैं.
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